17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती है। वे इस ब्रह्मांड के रचयिता हैं, आज हम जो कुछ भी देखते हैं वो सब भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया है। द्वारका से लेकर, भगवान शिव का त्रिशूल भी विश्वकर्मा जी ने बनाया है। माना जाता है भगवान ब्रह्मा के कहने पर विश्वकर्मा ने यह दुनिया बनाई थी। आइए जानते हैं सरल पूजन विधि-
प्रतिवर्ष भारत के उत्तर तथा पश्चिमी हिस्सों में माघ के महीने में माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती (Vishwakarma Jayanti in India) मनाई जाती है। वर्ष 2022 में यह दिन 14 फरवरी को पड़ा था। इसके अलावा भारत के पूर्वी हिस्सों में यानी झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, त्रिपुरा आदि स्थानों पर विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर 2022 को मनाई जाएगी। ज्ञात हो कि भगवान विश्वकर्मा के पूजन में शुद्धता का विशेष महत्व है, अत: दिनभर उनका नाम स्मरण करते हुए उपवास रखकर उनका पूजन करना चाहिए।
आइए यहां जानें सरल पूजन विधि और मंत्र
पूजा विधि-
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद स्नान करें।
- पूजा स्थान को साफ करके प्रतिमा रखें।
- हाथ में पुष्म, और अक्षत लेकर ध्यान लगाएं।
- इस मंत्र का जाप करें- ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:
- भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाएं।
- विधिपूर्वक आरती उतारें।
- अपने औजारों और यंत्र की पूजा करके हवन करें।
भगवान विश्वकर्मा का सरल मंत्र-
ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:
इस दिन भगवान विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि अगर कन्या संक्रांति के दिन पूरे विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाए तो सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। व्यापार में आ रही कठिनाई दूर हो जाती है और धन-संपदा घर आने लगती है।