अक्सर लोग मंगल के रत्न मूंगा को ऊर्जा का प्रतीक बताते हैं, जिसके पहनने से आत्मविश्वास, साहस और बल में वृद्धि होती है। यह सही बात है। मूंगा आत्मविश्वास और साहस बढ़ाता है, लेकिन हर किसी को मूंगा पहनना महंगा भी पड़ सकता है।
बिना जन्मपत्रिका दिखाए मूंगा पहना जाए तो इससे दुर्घटना भी हो सकती है। स्त्रियों की पत्रिका में मंगल अष्टम में नीच शत्रु राशिस्थ हो या शनि से इष्ट हो या शनि-मंगल के साथ हो तो जीवन को भारी क्षति पहुंचा सकता है। यहां तक कि विधवा भी बना देता है।
सप्तम में मंगल या लग्न में मंगल भी कभी-कभी हानिकारक साबित हो सकता है। चतुर्थ भाव में पड़ा मंगल पारिवारिक सुख-चैन खत्म कर देता है। द्वितीय भाव स्त्री कुंडली में सौभाग्य सूचक है। इस भाव में पड़ा मंगल अशुभ हो तो मूंगा पहनने वाली स्त्री जल्दी विधवा हो जाती है।
पारिवारिक कलह, कुटुंब से मनमुटाव और वाणी में दोष भी उत्पन्न करता है। भले वाणी साथ हो, लेकिन कटु वचन से सब कुछ बिगड़ जाता है। शनि और मंगल की युति कहीं भी हो तो मूंगा नहीं पहनना चाहिए।
लग्न में मंगल शुभ हो, लेकिन नवांश में मंगल की स्थिति खराब हो तो तब भी मूंगा नहीं पहनना चाहिए। पत्रिका में सोलह वर्ग होते हैं। जिसे षोडष्य वर्गी पत्रिका कहते हैं। उन सबको देखे बिना मूंगा पहनना भी महंगा साबित हो सकता है।
उदाहरण- लग्न में मंगल मेष या वृश्चिक का होकर, पंचम या नवम, दशम में हो, लेकिन नवांश में नीच का हो तो दाम्पत्य जीवन में बाधा का कारण बनेगा।
इसी प्रकार दशमाशा राज्यविचार में जब दशमेश होकर बैठे और शनि से युक्त बैठे व शनि से युति या दृष्टि हो तो नौकर, व्यापार, राजनीति और पिता के मामलों में कष्टप्रद बनेगा।
इसी प्रकार होरा संपदा विचार में शनि-मंगल साथ हो तो भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा।
द्रेष्काण मातृ सौख्यम में शनि-मंगल का दृष्टि संबंध हो तो भाई को नुकसान देगा। ऐसी स्थिति में मूंगा कदापि न पहनें। बल्कि जिस भाव में हो, उस भाव के स्वामी की स्थिति लग्न में शुभ हो उसका रत्न पहनना चाहिए।
मंगल भूमि, मकान, भवन-निर्माण से संबंधित, पुलिस, सेना, प्रशासन क्षमता का कारक होता है। ये युद्धोन्यादि का भी कारक है। अत: आप जब भी मूंगा पहनें किसी योग्य व्यक्ति से परामर्श लेकर ही शुभ मुहूर्त में बनवाकर शुभ मुहूर्त में धारण करें।