शनिवार, 21 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. आलेख
  4. importance of durva
Written By

गणेश जी और उनकी प्रिय दूर्वा, पढ़ें 10 विशेष बातें

गणेश जी और उनकी प्रिय दूर्वा, पढ़ें 10 विशेष बातें - importance of durva
गणेशजी को तुलसी छोड़कर सभी पत्र-पुष्प प्रिय हैं... गणपतिजी को दूर्वा अधिक प्रिय है। अतः सफेद या हरी दूर्वा चढ़ानी चाहिए। 
 
1. दूः+अवम्‌, इन शब्दों से दूर्वा शब्द बना है।  'दूः' यानी दूरस्थ व 'अवम्‌' यानी वह जो पास लाता है। 
 
2. दूर्वा वह है, जो गणेश के दूरस्थ पवित्रकों को पास लाती है। 
 
3. गणपति को अर्पित की जाने वाली दूर्वा कोमल होनी चाहिए। ऐसी दूर्वा को बालतृणम्‌ कहते हैं। सूख जाने पर यह आम घास जैसी हो जाती है। 
 
4. दूर्वा की पत्तियां विषम संख्या में (जैसे 3, 5, 7) अर्पित करनी चाहिए। 
 
5 .पूर्वकाल में गणपति की मूर्ति की ऊंचाई लगभग एक मीटर होती थी, इसलिए समिधा की लंबाई जितनी लंबी दूर्वा अर्पण करते थे। मूर्ति यदि समिधा जितनी लंबी हो, तो लघु आकार की दूर्वा अर्पण करें, परंतु मूर्ति बहुत बड़ी हो, तो समिधा के आकार की ही दूर्वा चढ़ाएं। 

6. जैसे समिधा एकत्र बांधते हैं, उसी प्रकार दूर्वा को भी बांधते हैं। ऐसे बांधने से उनकी सुगंध अधिक समय टिकी रहती है। उसे अधिक समय ताजा रखने के लिए पानी में भिगोकर चढ़ाते हैं। इन दोनों कारणों से गणपति के पवित्रक बहुत समय तक मूर्ति में रहते हैं। 
 
7. गणेशजी पर तुलसी कभी भी नहीं चढ़ाई जाती। कार्तिक माहात्म्य में भी कहा गया है कि 'गणेश तुलसी पत्र दुर्गा नैव तु दूर्वाया' अर्थात गणेशजी की तुलसी पत्र और दुर्गाजी की दूर्वा से पूजा नहीं करनी चाहिए। 
 
8. भगवान गणेश को गुड़हल का लाल फूल विशेष रूप से प्रिय है। दूर्वा के साथ इस  फूल को चढ़ाने से हर कामना शीघ्र पूरी होती है। 
 
9. इसके अलावा चांदनी, चमेली या पारिजात के फूलों की माला दूर्वा के साथ बनाकर पहनाने से भी गणेश जी प्रसन्न होते हैं। 
 
10. गणपति का वर्ण लाल है, उनकी पूजा में लाल वस्त्र, लाल फूल व रक्तचंदन का प्रयोग किया जाता है। दूर्वा की नाजुक पत्तियां गणेश जी के पेट पर रखने से हर व्याधि में आराम मिलता है।  

ये भी पढ़ें
पेट की चर्बी कम करेगा यह योगासन, जानें विधि