परम शुभ फलदायी है महाशिवरात्रि...
* ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण हैं महाशिवरात्रि
चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं अत: ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम शुभ फलदायी कहा गया है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है, परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही महाशिवरात्रि कहा गया है।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्यदेव भी इस समय तक उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यंत शुभ कहा गया है। 'शिव' का अर्थ है 'कल्याण'। शिव सबका कल्याण करने वाले हैं अत: महाशिवरात्रि पर सरल उपाय करने से ही इच्छित सुख की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषीय गणित के अनुसार चतुर्दशी तिथि को चन्द्रमा अपनी क्षीणस्थ अवस्था में पहुंच जाते हैं जिस कारण बलहीन चन्द्रमा सृष्टि को ऊर्जा देने में असमर्थ हो जाते हैं। चन्द्रमा का सीधा संबंध मन से कहा गया है। मन कमजोर होने पर भौतिक संताप प्राणी को घेर लेते हैं तथा विषाद की स्थिति उत्पन्न होती है। इससे कष्टों का सामना करना पड़ता है।
चन्द्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित हैं। अत: चन्द्रदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव का आश्रय लिया जाता है।
महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है। अत: प्राय: ज्योतिषी शिवरात्रि को शिव आराधना कर कष्टों से मुक्ति पाने का सुझाव देते हैं। शिव आदि-अनादि हैं। सृष्टि के विनाश व पुन:स्थापन के बीच की कड़ी हैं।