आगामी 16 मई से अधिकमास प्रारंभ होने जा रहा है। अधिकमास के प्रारंभ होते ही विवाह पर प्रतिबंध लग जाएगा। अधिकमास की अवधि में विवाह आदि शुभ कर्म वर्जित रहते हैं। वर्ष 2018 में 'अधिकमास' 16 मई से 13 जून के मध्य रहेगा। इस वर्ष ज्येष्ठ मास की अधिकता रहेगी अर्थात् इस वर्ष दो ज्येष्ठ मास होंगे। वहीं 'अधिकमास' की समाप्ति के कुछ ही समय पश्चात् 23 जुलाई 2018 से देवशयन के चलते 4 माह के लिए विवाह मुहूर्त्त का निषेध रहेगा।
क्या होता है 'अधिकमास'-
जब हिन्दी कैलेंडर में पंचांग की गणनानुसार 1 मास अधिक होता है तब उसे 'अधिकमास' कहा जाता है। हिन्दू शास्त्रों में 'अधिकमास' को बड़ा ही पवित्र माना गया है, इसलिए 'अधिकमास' को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है किन्तु यह विवाह आदि शुभ कार्यों के लिए निषेधात्मक रहता है अर्थात् अधिकमास की अवधि में विवाह करना वर्जित माना गया है।
अधिक मास प्रत्येक तीसरे वर्ष होता है। अधिकमास फ़ाल्गुन से कार्तिक मास के मध्य होता है। जिस वर्ष अधिकमास होता है उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 महीने होते हैं। अधिकमास के माह का निर्णय सूर्य संक्रांति के आधार पर किया जाता है। जिस माह सूर्य संक्रांति नहीं होती वह मास अधिकमास कहलाता है। वर्ष 2018 में अधिकमास के चलते ज्येष्ठ मास में सूर्य संक्रांति नहीं होने के कारण इस वर्ष दो ज्येष्ठ मास होंगे। अत: 16 मई से 13 जून तक विवाह मुहूर्त्त का अभाव रहेगा एवं विवाह नहीं होंगे।