- डॉ. आर.डी. ढोबले FILE प्राकृतिक घटनाओं के पूर्वानुमान हेतु ज्योतिर्विज्ञान की संहिता में शास्त्रियों ने अनेक सूत्र दिए है, जो मुख्यत: ग्रहों के खगोलीय भ्रमण के दौरान होने वाले योगों पर आधारित है। मालवांचल तथा निकटस्थ क्षेत्रों में रहने वाले आचार्य वराहमिहिर, दैवज्ञ नरपति, घाघ-भङङर तथा महाराष्ट्र के निवासी रामकृष्णजी गोखले आदि के सूत्र यद्यपि अब से लगभग 300 से 1500 वर्ष पूर्व की अवधि में रचे गए थे। तथापि उनमें से अनेक सूत्र वर्तमान में प्रासंगिक है। FILE भारत के मौसम विज्ञान विभाग से विगत 11 वर्षों से दैनिक वर्षा के अभिलेख प्राप्त कर उनका उपरोक्त शास्त्रियों के लगभग 124 योगों के तारतम्य में अध्ययन किया जाने पर लगभग 75 % योग अब भी प्रासंगिक पाए गए। अंधाधुंध वन कटाई, भूमि उत्खनन, औद्योगिक विकास के कारण वायु प्रदूषण, वैश्विक तापमान में वृद्धि इत्यादि के विपरीत परिणाम होते हुए भी अधिकांश सूत्र प्रासंगिक रहे हैं। इन सूत्रों को चिह्नित किया जाकर सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। उसी के आधार पर वर्ष 2013 की वर्षा ऋतु में अनुमानित वर्षा दिनों की तालिका प्रस्तुत है....