आह्वान युवा का है,पुकार युवा रक्त के लिए हैं। इक्कीसवीं सदी की इस प्रभात वेला में देश के युवक-युवतियाँ स्वार्थ की नींद में सोए हुए निजी प्रतिष्ठा के सपने देखते रहें,यह किसी भी तरह से उचित नहीं। आज हम सांस्कृतिक संक्रमण के ऐतिहासिक दौर से गुजर रहे है। |
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