Badrinath ki stuti: भगवान बद्रीनाथ की पूजा करने के बाद उनकी आरती जय जय श्रीबदरीनाथ जयति योग-ध्यानी करते हैं। उनकी कई तरह की आरतियां प्रचलित हैं। प्रात: स्मरण और आरती से सभी तरह के कष्ट मिट जाते हैं और जातक बद्रीनाथ के परम धाम में निवास करता है। चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम में श्री बदरीनाथ जी विराजमान हैं। वहां पर तपस्वी और मुक्त आत्माओं का एक क्षेत्र विद्यमान है।
भगवान श्री बदरीनाथजी की आरती
जय जय श्रीबदरीनाथ जयति योग-ध्यानी।।
टेक।।
निर्गुण सगुण स्वरूप, मेघवर्ण अति अनूप,
सेवत चरण सुरभूप, ज्ञानी विज्ञानी।।
जय जय०।।
झलकत है शीश छत्र, छबि अनूप अति विचित्र,
बरनत पावन चरित्र सकुचत बरबानी।।
जय जय०।।
तिलक भाल अति विशाल, गल में मणि-मुक्त-माल,
प्रनतपाल अति दयाल, सेवक सुखदानी।।
जय जय०।।
कानन कुंडल ललाम, मूरति सुखमाकी धाम,
सुमिरत हों सिद्धि काम, कहत गुण बखानी।।
जय जय०।।
गावत गुण शंभु शेष, इन्द्र, चन्द्र अरु दिनेश,
विनवत श्यामा हमेश जोरि जुगल पानी।।
जय जय०।।