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Written By WD

84 महादेव : श्री विश्वेश्वर महादेव(53)

84 महादेव : श्री विश्वेश्वर महादेव(53) - Vishweshwar Mahadev
काफी समय पहले विदर्भ नगर में राजा विदुरथ थे। एक बार वे शिकार के लिए वन में गए। वहां उन्होंनें मृग छाल पहनकर भगवान के ध्यान मग्न एक ब्राह्मण की हत्या कर दी। इस पाप के कारण वह 11 अलग-अलग योनियों में जन्म लेता रहा। 11 वीं योनि में वह चांडाल पैदा हुआ और धन चुराने के लिए एक ब्राह्मण के घर में घुसा और लोगों ने उसे पकड़ कर पेड़ पर टांग दिया। मरने के पूर्व तक चांडाल शूलेश्वर के उत्तर में स्थित एक शिवलिंग के दर्शन करता रहा। इस कारण वह मरने के बाद स्वर्ग में सुख भोगता रहा। इसके बाद पृथ्वी पर वह विदर्भ नगरी में ही राजा विश्वेश बन कर जन्मा। उसे अपने पूर्व जन्म की कथा याद रही। 


ह अवंतिका नगरी में स्थित शिवलिंग पर पहुंचा और विधि विधान से भगवान का पूजन किया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उससे वर मांगने के लिए कहा। राजा ने कहा कि इस संसार में किसी का भी पतन न हो और आपका नाम विश्वेश्वर के नाम से विख्यात हो। विश्वेश राजा को वरदान देने के कारण शिवलिंग विश्वेश्वर के नाम से विख्यात हुआ। मान्यता है कि जो भी मनुष्य विश्वेश्वर महादेव के दर्शन करता है उसके सात जन्मों के पापों का नाश होता है।