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Last Updated : मंगलवार, 31 दिसंबर 2024 (12:15 IST)

year ender 2024 : मणिपुर के लिए उथल पुथल भरा रहा 2024, हिंसा से आम लोग परेशान

year ender 2024 : मणिपुर के लिए उथल पुथल भरा रहा 2024, हिंसा से आम लोग परेशान - how was 2024 for manipur
year ender 2024 manipur : मणिपुर में 2024 का साल उथल-पुथल भरा रहा। घाटी में मेइती समुदाय और पर्वतीय क्षेत्रों में कुकी जनजातीय समुदायों के बीच टकराव 2024 में और गहरा गया, जिससे व्यापक जनहानि, हिंसा, भीड़ के हमले और आम नागरिकों वाले क्षेत्रों में ड्रोन हमले हुए। कभी अपनी सांस्कृतिक सद्भावना के लिए जाना जाने वाला राज्य अब गहराते विभाजन का सामना कर रहा है, हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और समुदाय निरंतर भय में जी रहे हैं, जबकि तनाव कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है और बीते वर्ष राज्य से शांति कोसों दूर रही।
 
वर्ष 2024 की शुरुआत हिंसक घटना से हुई, जब एक जनवरी को थौबल जिले में प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कार्यकर्ताओं ने चार ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना अवैध मादक पदार्थ व्यापार से एकत्रित धन को लेकर हुए विवाद से जुड़ी थी, जिसके कारण राज्य सरकार ने घाटी के सभी 5 जिलों में निषेधाज्ञा लागू कर दी।
 
एक महीने बाद, हथियारबंद बदमाशों ने इंफाल ईस्ट जिले के वांगखेई टोकपाम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी)मोइरंगथेम अमित सिंह के आवास पर धावा बोला और उनकी संपत्ति में तोड़फोड़ की। घटना के दौरान एएसपी और उनके एक साथी को हथियारबंद बदमाशों ने अगवा कर लिया और बाद में उन्हें घटनास्थल से करीब पांच किलोमीटर दूर इंफाल वेस्ट जिले के क्वाकेथेल कोनजेंग लेइकाई इलाके से छुड़ाया गया।
 
अप्रैल में कुकी-जो और मेइती समुदायों के बीच तीव्र जातीय तनाव की पृष्ठभूमि में लोकसभा चुनाव हुए। दूसरे चरण का चुनाव शांतिपूर्ण रहा, जबकि पहले चरण में व्यापक हिंसा हुई।
 
मणिपुर में जातीय हिंसा पहले इंफाल घाटी और आस-पास के जिलों चुराचांदपुर और कांगपोकपी तथा टेंग्नौपाल जिले के मोरेह सीमावर्ती शहर तक ही सीमित थी, लेकिन जून में असम की सीमा से लगे जिरीबाम जिले में एक व्यक्ति के मृत पाए जाने पर हिंसा ने नया मोड़ ले लिया।
 
पहले कभी शांत रहे इस जिले में कई समुदाय के लोग रहते थे। लेकिन संबंधित समुदायों के हथियारबंद समूहों द्वारा की गई गोलीबारी के बाद 1,000 से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो गए।
 
राज्य में एक नए किस्म की लड़ाई देखने को मिली जब संदिग्ध कुकी युवकों ने एक सितंबर को इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव और निकटवर्ती सेनजाम चिरांग में ड्रोन संचालित बम गिराए, जिससे एक महिला की मौत हो गई और नौ लोग घायल हो गए।
 
आस पास के गांवों पर बढ़ते हमलों और इनमें नागरिकों की मौत के बीच इंफाल में छात्रों एवं सुरक्षा बलों के बीच भीषण झड़पें भी हुईं, जिसमें 50 से अधिक छात्र घायल हो गए।
 
हथियारबंद कुकी-जो समुदाय के युवकों ने 11 नवंबर को जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा थाना और जकुरधोर करोंग इलाके पर हमला किया। इससे सुरक्षा बलों और हमलावरों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई, जिसमें 10 कुकी युवक मारे गए।
 
कुछ घंटों बाद पता चला कि तीन महिलाओं और तीन बच्चों समेत आठ लोग लापता हैं। ये सभी विस्थापित थे। इसके बाद 12 नवंबर को जकुराधोर में जले हुए मलबे से दो बुजुर्ग मेइती पुरुषों के झुलसे हुए शव मिले।
 
उसी दिन, बंधक बनाई गई महिलाओं और बच्चों की एक कथित तस्वीर सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई, जिससे मेइती समुदाय में आक्रोश फैल गया। शाम को अपहरण के विरोध में इंफाल घाटी और जिरीबाम में आम बंद का आह्वान किया गया और 15 नवंबर को मणिपुर-असम सीमा पर जिरी एवं बराक नदी के संगम के पास तीन महिलाओं तथा तीन बच्चों के शव मिलने के बाद स्थिति और खराब हो गई।
 
इसके एक दिन बाद, इंफाल घाटी में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए जब भीड़ ने घाटी के विधायकों के आवासों को निशाना बनाया। भीड़ ने भाजपा नेताओं के वाहनों एवं संपत्ति को भी निशाना बनाया और उनमें आग लगा दी। पिछले साल मई से इंफाल घाटी के मेइती और आसपास के पर्वतीय इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
edited by : Nrapendra Gupta
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