Chief Minister Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार की सर्व समावेशी नीतियां अब राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना व्यापक प्रभाव दिखा रही हैं। इसी का सकारात्मक परिणाम अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) में भी देखने को मिल रहा है। इस वृहद आयोजन में इस वर्ष उत्तर प्रदेश की महिलाओं की असाधारण भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि योगी सरकार की योजनाएँ महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
मिशन शक्ति, मुद्रा ऋण, कन्या सुमंगला, महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के विस्तार और ओडीओपी जैसी पहल ने महिलाओं को न केवल स्वरोजगार से जोड़ा है बल्कि उन्हें वैश्विक मंच तक पहुंचाने का मार्ग भी प्रशस्त किया है। यही कारण है कि आईआईटीएफ के ओडीओपी पवेलियन में 60% भागीदारी महिलाओं की रही है, जहां उनकी पारंपरिक कलाओं, हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों ने देश–विदेश के खरीदारों का ध्यान आकर्षित किया है। ओडीओपी और सरकारी नीतियों ने लुप्त होती कलाओं को पुनर्जीवित कर महिलाओं की आय, सम्मान और पहचान तीनों में वृद्धि की है।
योगी सरकार की नीतियां बदल रहीं महिलाओं की तकदीर : महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाने के लिए योगी सरकार ने मिशन शक्ति को बड़े स्तर पर लागू किया है। इसके तहत 15.35 लाख महिलाओं को विभिन्न योजनाओं से जोड़कर स्वरोजगार उपलब्ध कराया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1.14 करोड़ से अधिक खाते स्वीकृत हुए, जिनमें 80% से अधिक लाभार्थी महिलाएँ थीं। वहीं, कन्या सुमंगला योजना के माध्यम से 15 लाख से अधिक बालिकाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें विकास की मुख्यधारा में जोड़ा गया। इन नीतियों से महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में भी तेजी से सुधार हुआ है, जो 2017 के 10.6% से बढ़कर 2023 में 17.5% से अधिक हो चुकी है। सरकार की योजनाओं ने महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता व उद्यमिता को सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक आधार दोनों प्रदान किए हैं।
ओडीओपी से महिलाएं बनीं बड़े स्तर की उद्यमी : उत्तर प्रदेश की ओडीओपी योजना महिलाओं के लिए आर्थिक परिवर्तन का सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरी है। ओडीओपी के जरिए लाखों महिला कारीगरों, बुनकरों और उद्यमियों को लाभ मिला है। इनमें चिकनकारी, जरी-जरदोजी, पीतल उद्योग, बनारसी सिल्क, टेराकोटा, लकड़ी के खिलौने और अनेक पारंपरिक शिल्प शामिल हैं। 60,000 से अधिक महिला कारीगरों को फ्री प्रशिक्षण और आधुनिक टूलकिट प्रदान किए जाने से उनकी उत्पादकता और गुणवत्ता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
ई-कॉमर्स के माध्यम से हजारों महिला एमएसएमई उद्यमियों को अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्मों से जोड़कर वैश्विक बाजारों तक पहुँचाया गया, जिससे निर्यात में वृद्धि हुई और आय में स्थायी सुधार दर्ज हुआ। आईआईटीएफ के ओडीओपी पवेलियन में 60% महिलाएं शामिल हुईं, जिन्होंने अपनी कला से उत्तर प्रदेश को देश–विदेश में पहचान दिलाई। यह न सिर्फ राज्य की परंपरागत कला के पुनरुत्थान का सबूत है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक उत्थान का भी।
सरकार के सतत प्रयास बने बदलाव की आधारशिला : महिलाओं की आर्थिक मजबूती सुनिश्चित करने के लिए योगी सरकार ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लाखों महिलाओं को स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर किया है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 4.5 लाख से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय वर्ष 2022-23 में ₹1,000 करोड़ से अधिक का ऋण उपलब्ध कराया गया। योगी सरकार के सकारात्मक प्रयासों का संपूर्ण प्रभाव आईआईटीएफ में साफ नजर आया, जहां महिला उद्यमियों ने न केवल बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान दिलाई।
झांसी की वंदना व शिवानी शर्मा का उदाहरण अनुकरणीय है। इन्होंने ओडीओपी केटेगरी के अंतर्गत न केवल प्रशिक्षण व वित्तीय सहायता प्राप्त की, बल्कि घर आधारित काम को संगठित उद्यम में बदला। इसका परिणाम है कि आईआईटीएफ में उनके पारंपरिक खिलौना उत्पादों को न केवल बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं बल्कि आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। यह इस बात का भी उदाहरण है कि कैसे परंपरागत कलाओं को नया जीवन और महिलाओं को नई उड़ान देने में योगी सरकार की नीतियां निर्णायक साबित हुई हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala