भारत-बेल्जियम मैच रिव्यू: एलेक्ज़ेंडर हेंड्रिक्स का फर्क निर्णायक साबित हुआ
एलेक्ज़ेंडर हेंड्रिक्स: भारत और बेल्जियम की टीम के बीच बस केवल यही फर्क था, वरना बेल्जियम के मुकाबले भारत के पक्ष में ज्यादा बातें थीं। बेल्जियम भले ही वर्ल्ड चैम्पियन है, लेकिन रियो ओलंपिक के बाद से ही उसका भारत के खिलाफ प्रदर्शन बराबरी का ही रहा है। 16 मैच खेले गए जिसमें से 6-6 मैच दोनों ने जीते और 4 बराबरी पर छूटे।
बेल्जियम की टीम से भले ही यूरोपीय टीमें खौफ खाती हो, लेकिन भारत के खिलाफ बेल्जियम दबाव में रहता है। भारत की हॉकी खेलने की शैली यूरोपयीन टीमों से बहुत अलग है इसलिए बेल्जियम को भारत पर काबू पाने में तकलीफ होती है।
मौसम भी भारत के साथ था। मैच जब खेला गया तो तापमान लगभग 31 डिग्री सेल्यिस था और बेल्जियम के खिलाड़ी इतने तापमान में खेलने के आदी नहीं हैं, जबकि भारतीयों के लिए यह मुश्किल हालात नहीं थे। फर्क एलेक्ज़ेंडर हेंड्रिक्स का था और यही निर्णायक साबित हुआ।
स्कोर भले ही 5-2 रहा हो, लेकिन भारतीय टीम का प्रदर्शन सराहनीय रहा। बेल्जियम और एलेक्ज़ेंडर हेंड्रिक्स जिस तरह से इस ओलंपिक में प्रदर्शन कर रहे हैं उससे बेल्जियम का पलड़ा भारी लग रहा था, लेकिन तीन क्वार्टर तक भारतीयों ने बेल्जियम की नाक में दम कर रखा था। खासतौर पर पहले दो क्वार्टर में भारतीय टीम लाजवाब खेली।
बेल्जियम टीम ओपन गेम खेलती है। मैन टू मैन मार्किंग पर उनका विश्वास नहीं है। इसलिए खूब गोल भी बनाती है और खाती भी है। दोनों ही टीम 4-3-3 की शैली में खेल रही थी और भारतीय टीम ने अटैकिंग का खेल दिखाया।
बेल्जियम टीम का ध्यान पेनल्टी कॉर्नर हासिल करने पर था। शुरुआत में उनसे पेनल्टी कॉर्नर बेकार चले गए। जब एलेक्ज़ेंडर हेंड्रिक्स मैदान में उतरे और जैसे ही बेल्जियम ने पेनल्टी कॉर्नर हासिल करने शुरू किए एलेक्ज़ेंडर हेंड्रिक्स ने गोल दागने शुरू कर दिए और भारतीयों की हिम्मत जवाब दे गई। आखिरी गोल तो उपहार स्वरूप ही दिया गया क्योंकि टीम ने गोलकीपर को बाहर बैठा दिया था।
भारतीय टीम ने हार के बावजूद सिर ऊंचा कर मैदान छोड़ा क्योंकि उन्होंने बेहतरीन खेल दिखाया। पूरी कोशिश की, लेकिन बेल्जियम बेहतर टीम थी इसलिए जीत उसके हिस्से आई।