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Written By सीमान्त सुवीर
Last Updated : बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (18:21 IST)

आनंद शतरंज के शहंशाह

विश्वनाथन आनंद नंबर वन खिलाड़ी सीमान्त सुवीर
भारत का 'शातिर' विश्वनाथन आनंद रविवार को दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी की कुर्सी पर विराजमान हो गया। यह खबर उन लोगों का सीना चौड़ा करने वाली है जो शतरंज खेलते हैं या शतरंज में रुचि रखते हैं। बाकियों को इससे कोई सरोकार नहीं कि हिन्दुस्तान का एक युवा खिलाड़ी उस दिमागी खेल का शहंशाह बन गया है या 64 खानों में शतरंज के मोहरों को अपनी दिमागी कसरत के जरिए मात देने की काबिलियत हासिल करने वाला कोई भारतीय खिलाड़ी उस मुकाम पर पहुँच गया, जिसे पाना महज एक सपना है।

भारत में किसी स्टार क्रिकेटर को नजला भी हो जाए तो खबर बन जाती है लेकिन आनंद दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी बन गए हैं, इसे पूरे देश-विदेश में जाहिरात करने की फुर्सत किसी को नहीं थी। आधी-रात तक मीडिया श्रीलंका-वेस्टइंडीज के क्रिकेट मैच को परोसता रहा, जिसे देखने वाले इन दोनों देशों के प्रशंसक ही रहे होंगे।

आनंद की इस अद्वितीय उपलब्धि की खबर समाचार एजेंसी पर रविवार को रात 8 बजकर 59 मिनट और 42 सेकंड पर प्रसारित हो गई थी लेकिन देश में खुद को सबसे तेज और अव्वल बताने वाले कई नामचीन टीवी चैनलों ने इस खबर को प्रसारित करना जरूरी नहीं समझा।

इतना तो मानना पड़ेगा कि विदेशी धरती पर जन्में खेल क्रिकेट ने पूरे देश को अपने इस तरह अपने आगोश में ले रखा है कि 1 अरब से ज्यादा की जनसंख्या इसी के इर्दगिर्द रहना-घूमना पसंद करती है। यदि ऐसा नहीं होता तो हिन्दुस्तान के जागरूक टीवी चैनल 18 मार्च को रात से ही पाकिस्तानी क्रिकेट कोच बॉब वूल्मर की हत्या किए जाने के सनसनीखेज समाचार को दिखाते नजर नहीं आते।

कितनी हैरत की बात है कि देश के टीवी चैनल वूल्मर हत्याकांड की पुलिस प्रेस कांफ्रेंस को सुबह 5.10 बजे सीधे प्रसारित करने के लिए रतजगा कर सकते हैं लेकिन उन्हें आनंद के दुनिया के शीर्ष खबर को बताने की जरूरत महसूस नहीं होती।

23 मार्च 2007 को विश्व कप क्रिकेट में भारत-श्रीलंका का मैच आधी रात तक चलता रहा और जब भारत विश्व कप से बाहर हो गया तो टीवी संवाददाता प्रतिक्रिया जानने के लिए उन लोगों तक भी जा पहुँचे, जो सुबह की सैर पर निकले थे। दिन भर देश भर से हार पर प्रतिक्रिया आती रहीं लेकिन आज इन लोगों के पास आनंद के परिजनों के पास जाने की फुर्सत कहाँ?

2 अप्रैल की तारीख रात 12 बजे बाद बदल चुकी थी और कोई तड़के तीन बजे के आसपास विश्व कप में श्रीलंका ने वेस्टइंडीजी को 113 रनों से हरा दिया था। तमाम टीवी चैनलों पर 'न्यूज फ्लैश' में इस मैच का परिणाम बताया जा रहा था। यानी टीवी स्टूडियो में कोई न कोई तो होगा, जो इसे अपडेट कर रहा होगा। क्या 6 घंटे गुजरने के बाद भी आनंद के दुनिया के नंबर वन होने की खबर नहीं पहुँची होगी?

वास्तव में देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ क्रिकेट को इतना 'आसमान' पर पहुँचा रखा है कि उसके आगे दूसरे खेल 'पाताल' में चले गए हैं। यही कारण है कि दूसरे खेल में आप विश्व चैम्पियन भी बन जाएँ तो पड़ोसी को भी पता नहीं चलेगा कि आप इतने बड़े खिलाड़ी हैं। भारत में 'ईट क्रिकेट', 'ड्रिंक क्रिकेट' और 'स्लिप क्रिकेट' का बोलबाला है। क्रिकेट का मौसम आते ही तमाम मीडिया लार टपकाने लगता है क्योंकि यही तो मौसम होता है, जब वह मोटी कमाई कर सकता है।

भारत शतरंज खेल का जन्मदाता रहा है। इस खेल में आनंद ने दुनिया के कई स्थापित खिलाड़ियों को मात देते हुए रूस के 'किले' में सेंध लगाई और उसकी बादशाहत खत्म की। इसी खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की शतरंज में पहचान बनाई।

घंटों तक शतरंज की बिसात पर माथापच्ची करने वाले विश्वनाथन आनंद ने युवाओं में ऐसी लगन लगाई कि कई उम्र वर्गो में भारत आज विश्व विजेता बना हुआ है। कोनेरू हम्पी ने महिलाओं में अपनी पहचान स्थापित की तो परिमार्जन नेगी बच्चों में शतरंज की अलख जगाने में कामयाब हुए।

शतरंज की दुनिया में भारत की अलग पहचान है लेकिन घर में यह खिलाड़ी खुद से बेगाने हैं। क्या आनंद, हम्पी या फिर परिमार्जन आपके बगल से गुजर जाएँ तो उन्हें पहचान सकेंगे? शायद नहीं, इसलिए कि इन्हें मीडिया उतनी तवज्जो नहीं देता, जितने कि वे उसके हकदार हैं। मीडिया जनता के सामने यदि दूसरे खेलों को भी ईमानदारी के साथ परोसे तो निःसंदेह अन्य खेलों के खिलाड़ी भी हीरो बन सकते हैं। आनंद के विश्व के नंबर बने की खबर भी 'ब्रेकिंग न्यूज' में शुमार की जा सकती है।

यकीनन सुबह सूरज अपना उजियाला फैलाएगा, लोग सैर पर निकलेंगे लेकिन कोई विश्वनाथन आनंद की उपलब्धि पर बात नहीं करेगा। उनके बीच बहस का विषय सचिन तेंडुलकर होंगे कि उन्हें संन्यास लेना चाहिए या खेलते रहना चाहिए। उनके बीच चर्चा इस बात की होगी कि वेस्टइंडीज विश्व कप में हार गया और वे बात करेंगे इस पर कि भारत का कोच देशी होना चाहिए या विदेशी। बातों में यूपी चुनाव में मुलायम सिंह भी जुबाँ पर आएँगे।

इस बारे में भी बातें होंगी कि वूल्मर को कौनसा जहर देकर मारा गया था और उनके कातिल को कब पकड़ा जाएगा। यानी सब विषयों की बातों में आनंद कहीं नहीं होंगे। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी विश्वनाथन आनंद के बारे में छोटी सी खबर देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी करेगा। वह दिन कब आएगा, जब हिन्दुस्तान के दीगर खेलों के खिलाड़ी भी पहली खबर बनेंगे और उन्हें क्रिकेटरों की मानिंद दौलत और शोहरत मिलेगी। आएगा वह दिन....