मंगलवार, 26 सितम्बर 2023
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संस्कृत दिवस की खास बातें, इस भाषा में रचित 10 महत्वपूर्ण पुस्तकें

शनिवार,अगस्त 21, 2021
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संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीश देवपुजारीजी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के दो ही तरीके हैं। या तो सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में रोज सुनवाई कर जल्द ही अपना निर्णय दे दे या फिर इस संबंध में संसद कानून बना दे।
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इंदौर। संस्कृत भारती संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। इस उद्देश्य से कार्य करने वाले सभी कार्यकर्ता प्रशंसा के पात्र हैं। वे एक महान कार्य कर रहे हैं, क्योंकि संस्कृत में भारत की आत्मा बसती है।
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इंदौर। संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न स्थानों पर दिसंबर में जिला मुख्यालयों पर संस्कृत जनपद सम्मेलन के आयोजन होंगे। इसके माध्यम से आमजनों को संस्कृत से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
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इन्दौर। संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से पूरे इन्दौर महानगर में ‘संस्कृत भारती’ द्वारा 23 अगस्त को सम्पूर्ण देश में प्रात: 8 बजे से शाम 6 बजे तक गृहं गृहं संस्कृतम अभियान चलाया गया।
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दूरदर्शन 28 जून से संस्कृत में एक साप्ताहिक समाचार कार्यक्रम शुरू करेगा। इसी दिन बैंकाक में ‘विश्व संस्कृत सम्मेलन’ भी शुरू हो रहा है। प्रसार भारती के अध्यक्ष ए. सूर्य प्रकाश ने ट्विटर पर अपने संदेश में कहा, ‘‘डीडी न्यूज 28 जून, रविवार दोपहर 12 बजे ...
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संस्कृत भारती के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. पी. नंदकुमार का मानना है स्पीच थैरपी के लिए संस्कृत सबसे उपयुक्त भाषा है। जो व्यक्ति धाराप्रवाह बोल नहीं पाते, अटकते हैं या फिर हकलाते हैं उन्हें संस्कृत सीखना चाहिए। जो बच्चे स्पष्ट बोलने में असमर्थ हैं, वे ...
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गीता, रामायण, वेद आदि हिन्दुओं के प्राचीन धर्मग्रंथ संस्कृत में ही हैं। पतंजलि का योग शास्त्र भी संस्कृत में है। हालांकि समय के साथ संस्कृत प्रचलन से बाहर हो गई, लेकिन यह भी सत्य है कि भारत की सभी भाषाओं में संस्कृत के शब्दों का बहुतायत से प्रयोग ...
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देश के प्रसिद्ध द दून स्कूल, देहरादून के संस्कृत और हिन्दी विभाग के प्रमुख मनोज पांडेय का मानना है कि जब तक संस्कृत को रोजगार और बाजार से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक इसे जनसामान्य की भाषा नहीं बनाया जा सकता। हालांकि संस्कृत को वर्ग विशेष की भाषा माना ...
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इंदौर। संस्कृतविद्‍ और शासकीय संस्कृत महाविद्यालय इंदौर के प्राचार्य डॉ. विनायक पांडे का मानना है कि भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत और संस्कृति में ही है। यदि ये दोनों सुरक्षित हैं तो ही देश सुरक्षित रहेगा।
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उत्तराखंड राज्य को देवभूमि कहा जाता है। देवताओं की भाषा चूंकि संस्कृत रही है इसलिए देवभूमि को ही संस्कृत के विकास के लिए भी चुनकर यहीं से संस्कृत के विकास का परचम लहराया जा सकता है। ऐसी मान्यता को साकार करने के लिए कई घोषणाएं सरकारों ने की हैं, ...
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इंदौर। इंदौर में ‘जनपद संस्कृत सम्मेलन’ का आयोजन 18 जनवरी को चिमनबाग के फुटबॉल मैदान पर किया गया। इसका उद्देश्‍य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना एवं इसे जन-जन से जोड़ना था।
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