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क्यों ओलंपिक खिलाड़ी जीत के बाद दांत से काटते हैं अपने मेडल?

क्यों ओलंपिक खिलाड़ी जीत के बाद दांत से काटते हैं अपने मेडल? - olympic winners bite medals reason
ओलंपिक में जीत के बाद, कई ओलंपिक खिलाड़ी अपने मेडल को दांतों से काटते हुए खुशी जाहिर करते हैं। पिछले कुछ सालों में यह लगातार देखा गया है। आखिर क्या है यह चलन? खिलाड़ी क्यों ऐसा करते हैं? 


 
 
किसका है ऑर्डर : इसकी वजह है कि जीत चुके खिलाड़ी किसी का ऑर्डर मानकर ऐसा करते हैं। जी नहीं, ओलंपिक कमेटी से ऐसा कोई आदेश खिलाड़ियों को नहीं दिया गया है बल्कि ऐसा खिलाड़ी फोटोग्राफरों के आग्रह पर करते हैं। जब खिलाड़ी जीत दर्ज कर चुके होते हैं, उनके फोटो लेने के लिए फोटोग्राफरों और फोटोजर्नलिटों का हुजुम उमड़ पड़ता है। 
 
खिलाड़ी अपनी जीत के बाद स्माइल देकर और खड़े रहकर अमूमन फोटो खिचाते हैं। ऐसे में सभी फोटो लगभग एक जैसे हो जाते हैं। जीते हुए खिलाड़ियों ने अपने मेडल को दांत से काटना शुरू कर दिया जिससे फोटोग्राफर को कुछ नया मिल पाए। 
 
दांत में हुआ नुकसान : अगर आप सोच रहे हैं किसी खिलाड़ी की दांत में कुछ तकलीफ नहीं हुई ऐसा करते हुए तो जवाब है कि हां ऐसा हो चुका है। 2010 में, जर्मनी के लुगर डेविड मोएलर के एक दांत का एक छोटा टुकडा ऐसा करते हुए टूटकर आ गिरा। 
 
गोल्ड मेडल की असली धातु : अगर मेडल असली गोल्ड का होता तो धातु की पहचान भी हो जाती क्योंक़ि असली सोने पर दांत के निशान बन जाते, परंतु अब तक निश्चिततौर पर सभी ओलंपिक खिलाड़ियों को पता है कि गोल्ड मेडल अधिकतर चांदी या तांबे का बना होता है। अगर गोल्ड मेडल असली सोने के बने होते तो ओलंपिक समिती 17 मिलियन डॉलर खर्च करने पड़ जाते। 
 
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