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Last Modified: मुंबई , सोमवार, 26 जून 2023 (17:33 IST)

अदालत ने नहीं दी नाबालिग को गर्भपात की अनुमति, डॉक्टरों ने कहा- शिशु के जिंदा पैदा होने की संभावना

अदालत ने नहीं दी नाबालिग को गर्भपात की अनुमति, डॉक्टरों ने कहा- शिशु के जिंदा पैदा होने की संभावना - The court did not allow the minor to have an abortion
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने 15 वर्षीय एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को उसके गर्भ में पल रहे 28 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
 
पीठ ने चिकित्सकों की इस राय के बाद यह कदम उठाया है कि गर्भावस्था के इस चरण में गर्भपात करने पर भी शिशु के जिंदा पैदा होने की संभावना है, जिसके कारण उसे नवजात देखभाल इकाई में भर्ती कराने की जरूरत पड़ेगी।
 
न्यायमूर्ति आरवी घुगे और न्यायमूर्ति वाईजी खोबरागड़े की पीठ ने 20 जून के अपने आदेश में कहा कि यदि गर्भपात की प्रक्रिया के बावजूद किसी बच्चे के जिंदा पैदा होने की संभावना है, तो वह बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था की अवधि पूरी होने के बाद प्रसव की अनुमति देगी।
 
पीठ दुष्कर्म पीड़िता की मां की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अपनी बेटी के गर्भ में पल रहे 28 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की अनुमति देने की अपील की थी।
 
महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि उसकी बेटी इस साल फरवरी में लापता हो गई थी और तीन महीने बाद पुलिस ने उसे राजस्थान में एक व्यक्ति के साथ पाया था। उक्त व्यक्ति के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
 
दुष्कर्म पीड़िता की जांच करने वाले चिकित्सा दल ने कहा था कि अगर गर्भपात की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, तो भी बच्चा जीवित पैदा हो सकता है और उसे नवजात देखभाल इकाई में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी, साथ ही पीड़िता की जान को भी खतरा होगा।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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