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  4. 'Shakar' and 'Sharbat' will not be divided on the border for the fifth time in a row?
Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : सोमवार, 20 जून 2022 (16:34 IST)

भारत पाक में तनाव का असर, लगातार 5वीं बार नहीं बंटेगा सीमा पर 'शकर' और 'शर्बत' दोनों मुल्कों में?

chamliya baba
चमलियाल सीमा चौकी (जम्मू फ्रंटियर)। 3 दिनों के उपरांत अर्थात 23 जून गुरुवार को रामगढ़ सेक्टर में चमलियाल सीमांत पोस्ट पर आयोजित किए जाने वाले बाबा चमलियाल के मेले में इस बार भी लगातार 5वीं बार दोनों मुल्कों के बीच 'शकर' और 'शर्बत' के बंटने की उम्मीद कम ही है। कारण स्पष्ट है। अभी तक पाकिस्तानी रेंजरों ने इसकी बाबत बुलाई गई बैठक में शिरकत करने के बीएसएफ के न्योते का कोई जवाब ही नहीं दिया है।
 
वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना के कारण इस मेले को रद्द कर दिया गया था और वर्ष 2018 व 2019 में पाक रेंजरों ने न ही इस मेले में शिरकत की थी और न ही प्रसाद के रूप में 'शकर' और 'शर्बत' को स्वीकारा था, क्योंकि वर्ष 2018 में 13 जून के दिन पाक रेंजरों ने इसी सीमा चौकी पर हमला कर 4 भारतीय जवानों को शहीद कर दिया था तथा 5 अन्य को जख्मी। तब भारतीय पक्ष ने गुस्से में आकर पाक रेंजरों को इस मेले के लिए न्योता नहीं दिया था, पर अबकी बार वे इसका जवाब ही नहीं दे रहे हैं। नतीजतन यही लगता है कि देश के बंटवारे के बाद से चली आ रही परंपरा इस बार भी टूट जाएगी। वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है कि यह परंपरा टूटने जा रही हो बल्कि अतीत में भी पाक गोलाबारी के कारण कई बार यह परंपरा टूट चुकी है।
 
परंपरा के अनुसार पाकिस्तान स्थित सैदांवाली चमलियाल दरगाह पर वार्षिक साप्ताहिक मेले का आगाज गुरुवार को होता है और अगले गुरुवार को समापन। भारत-पाक विभाजन से पूर्व सैदांवाली तथा दग-छन्नी में चमलियाल मेले में शरीक हुए बुजुर्ग गुरबचन सिंह, रवैल सिंह, भगतू राम व लेख राज ने बताया कि यह ऐतिहासिक मेला है। पाकिस्तान के गांव तथा शहरों के लोग बाबा के मजार पर पहुंचकर खुशहाली की कामना करते हैं।
 
भारत-पाक के बीच सरहद बनने के बाद मेले की रौनक कम हो गई। पहले मेले के सातों दिन बाबा के मजार पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था। वर्तमान में मेले के आखिरी 3-4 दिन ही अधिक भीड़ रहती है। जिस दिन भारतीय क्षेत्र दग-छन्नी स्थित बाबा चमलियाल दरगाह पर वार्षिक मेला लगता है, उस दिन पाकिस्तान को तोहफे के तौर पर पवित्र शर्बत और शकर भेंट की जाती है। भेंट किए गए शर्बत शकर को सैदांवाली स्थित चमलियाल दरगाह ले जाकर संगत को बांटा जाता है। पाक श्रद्धालु कतारों में लगकर बाबा के पवित्र शर्बत शकर हासिल करते हैं।
 
जीरो लाइन पर स्थित चमलियाल सीमांत चौकी पर जो मजार है, वह बाबा दिलीप सिंह मन्हास की समाधि है। इसके बारे में प्रचलित है कि उनके एक शिष्य को एक बार चम्बल नामक चर्म हो गया था। बाबा ने उसे इस स्थान पर स्थित एक विशेष कुएं से पानी तथा मिट्टी का लेप शरीर पर लगाने को दिया था। उसके प्रयोग से शिष्य ने रोग से मुक्ति पा ली। इसके बाद बाबा की प्रसिद्धि बढ़ने लगी तो गांव के किसी व्यक्ति ने गला काटकर उनकी हत्या कर डाली। बाद में उनकी हत्या वाले स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई। प्रचलित कथा कितनी पुरानी है, कोई जानकारी नहीं है।
 
इस मेले का एक अन्य मुख्य आकर्षण भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा ट्रॉलियों तथा टैंकरों में भरकर 'शकर' तथा 'शर्बत' को पाक जनता के लिए भिजवाना होता है। इस कार्य में दोनों देशों के सुरक्षा बलों के अतिरिक्त दोनों देशों के ट्रैक्टर भी शामिल होते हैं और पाक जनता की मांग के मुताबिक उन्हें प्रसाद की आपूर्ति की जाती रही है जिसके अबकी बार संपन्न होने की कोई उम्मीद नहीं है। यह लगातार 5वीं बार होगा कि न ही पाक रेंजर पवित्र चादर को बाबा की दरगाह पर चढ़ाने के लिए लाएंगे जिसे पाकिस्तानी जनता देती है और न ही वे प्रसाद को स्वीकार करेंगे।
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