शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. विधानसभा चुनाव 2018
  3. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018
  4. Rajasthan assembly election
Written By
Last Modified: मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018 (18:56 IST)

राजस्थान में भाजपा जिला अध्यक्षों को नहीं मिलेंगे विधानसभा टिकट, देना होगा इस्तीफा

राजस्थान में भाजपा जिला अध्यक्षों को नहीं मिलेंगे विधानसभा टिकट, देना होगा इस्तीफा - Rajasthan assembly election
जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों में इस बार भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर मिल सकती है और अब हर किसी की नजरें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की ओर हैं कि उम्मीदवारों के चयन का आधार क्या होगा। पार्टी सूत्रों ने हालांकि इस बात के संकेत दिए हैं कि जिला अध्यक्षों को टिकट नहीं दिए जाएंगे और उन्हें चुनावी प्रकिया के संचालन के काम में लगाया जाएगा।


इसी बात को लेकर अब इस बात के कयास भी लगाए जा सकते हैं कि कईं जिला अध्यक्ष जो चुनाव लड़ने की हसरत काफी लंबे समय से पाले हुए थे उन्हें इस्तीफा देना होगा। पार्टी सूत्रों ने बताया, इसमें कोई भी असामान्य बात नहीं है और हमने यही फार्मूला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में दोहराया था तथा मार्च 2017 में हमें इसका फायदा भी मिला, लेकिन हम इस बात को लेकर  बिलकुल भी नहीं अड़ेंगे, क्‍योंकि उत्तर प्रदेश में भी ऐसे 18 लोगों को टिकट दिया गया था जो जिलों और उप क्षेत्रीय स्तर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

उम्मीदवारों के चयन में कईं चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है और सबसे अहम बात यह है कि उम्मीदवार की जीतने की क्षमता कितनी है। इसके अलावा जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखा जा रहा है क्‍यों‍कि किसी क्षेत्र विशेष में कुछ जातियों की नाराजगी पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है और इसका असर आसपास की विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर पार्टी के नेताओं ने विभिन्न स्तरों पर लोगों से संपर्क करना शुरू कर दिया है और पिछली बार के विधानसभा चुनावों के नतीजों का भी विश्लेषण किया जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, अभी तक इस बात पर काफी बारीकी से गौर किया गया है कि हमें कुछ जिला अध्यक्षों की आकांक्षाओं के बारे में भी सावधान रहना होगा, क्‍योंकि अगर उन्हें टिकट नहीं दिए गए तो पार्टी को अधिक नुकसान हो सकता है। पार्टी के चुनावी प्रबंधकों का मानना है कि राज्य स्तर पर उम्मीदवारों की बढ़ती हुई संख्या हमेशा ही पार्टी हितों के खिलाफ रही है, क्‍योंकि 1998 में ऐसे उम्मीदवारों की संख्या 2578 थी और 2008 में यह बढ़कर 3181 हो गई थी और इसका असर पार्टी की हार के रूप में सामने आया था।

सूत्रों ने बताया कि 2003 में राज्य में भाजपा के कुल उम्मीदवारों की संख्या में 15 प्रतिशत कमी आई थी और पार्टी को शानदार जीत मिली थी। इसी तरह 2008 के मुकाबले 2013 में कुल उम्मीदवारों की संख्या गिरकर 2966 रह गई थी और पार्टी को 163 सीटें मिली थीं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी कुछ जिला अध्यक्षों ने टिकट के लिए पार्टी नेतृत्व से संपर्क किया है और इनमें जैसलमेर, बीकानेर तथा सीकर के जिला अध्यक्ष शामिल हैं। इसके अलावा अन्य बातों पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि क्या कुछ मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट दिया जाए। ऐसे विधायक जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। (वार्ता)
ये भी पढ़ें
इंटरपोल प्रमुख पर रिश्वत लेने का आरोप, पद से दिया इस्तीफा