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Written By WD Feature Desk

महानंदा नवमी : जानें महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा और उपाय

Mahananda Navami I महानंदा नवमी, जानें महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा और उपाय - About Mahananda Navami
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HIGHLIGHTS
• महानंदा नवमी के दिन किस देवी की पूजा की जाती है।
• महानंदा नवमी के खास मंत्र। 
• महानंदा नवमी के सरल उपाय से प्रसन्न होंगी देवी। 
 
Mahananda Navami 2024 : वर्ष 2024 में महानंदा नवमी व्रत 18 फरवरी, दिन रविवार को मनाया जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महानंदा नवमी के दिन माता पार्वती के ही एक अन्य स्वरूप देवी नंदा की पूजा की जाती है।

पौराणिक मान्यताओं में यह देवी दुर्गा का ही एक रूप कहा गया हैं। इस दिन नंदा माता तथा देवी महालक्ष्मी का पूजन करने से मनुष्य की समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। इस बार माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन यह व्रत पड़ा रहा है तथा इसी दिन गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन भी किया जाएगा। महानंदा नवमी व्रत पर श्री की देवी लक्ष्मी जी का पूजन तथा उनके मंत्रों का जाप करने से गरीबी, दारिद्रय, दुख दूर होता है। मान्यतानुसार महानंदा नवमी व्रत करने वालों को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होने लग‍ती है। इस दिन असहाय लोगों को दान करने से सुख-समृद्धि तथा विष्णु लोक मिलता है। 
 
आइए यहां जानते हैं यहां इस व्रत के मंत्र, महत्व, पूजा विधि, उपाय, कथा और मुहूर्त के बारे में- 
 
महत्व : Impotance 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर किसी अज्ञात कारणों की वजह से जीवन में परेशानी, संकट का आभास होने लगे, सुख-समृद्धि, धन की कमी होने लगी हो तो महानंदा नवमी व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए सभी परेशानियों से मुक्ति के लिए नवमी के दिन महानंदा व्रत किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। 
 
जीवन में परेशानियां अगर निरंतर बढ़ती हुई महसूस हो रही हैं और धन हानि हो रही हो तो ऐसे व्यक्तियों को यह व्रत करने से जीवन में सभी सुखों की तथा शुभ फल की प्रा‍प्ति होती हैं। यदि नवमी के दिन कुंवारी कन्या का पूजन करके उससे आशीर्वाद लेना विशेष शुभ माना गया है। अत: नवमी तिथि को कन्या भोज तथा उनके चरण अवश्‍य छूने चाहिए।
 
श्री महानंदा नवमी 2024 के मुहूर्त : Mahananda Navami Muhurat 2024 
 
श्री महानंदा नवमी व्रत : रविवार, 18 फरवरी 2024 को
श्री महानंदा नवमी व्रत का प्रारंभ- 17 फरवरी प्रातः 08.16 मिनट से 18 फरवरी प्रातः 08.16 मिनट तक। 
 
18 फरवरी 2024, रविवार : दिन का चौघड़िया
 
चर- 07.04 ए एम से 08.37 ए एम
लाभ- 08.37 ए एम से 10.10 ए एम
अमृत- 10.10 ए एम से 11.43 ए एम
शुभ- 01.16 पी एम से 02.48 पी एम
 
रात का चौघड़िया
शुभ- 05.54 पी एम से 07.21 पी एम
अमृत- 07.21 पी एम से 08.49 पी एम
चर- 08.49 पी एम से 10.16 पी एम
लाभ- 01.10 ए एम से 19 फरवरी को 02.37 ए एम, 
शुभ- 04.05 ए एम से 19 फरवरी  05.32 ए एम तक।
राहुकाल- सायं 4.30 से 6.00 बजे तक तक। 
 
शुभ समय :

ब्रह्म मुहूर्त- 03.59 ए एम से 04.45 ए एम।
प्रातः सन्ध्या- 04.22 ए एम से 05.32 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.18 ए एम से 12.08 पी एम।
विजय मुहूर्त- 01.47 पी एम से 02.36 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.53 पी एम से 06.16 पी एम।
सायाह्न सन्ध्या- 05.54 पी एम से 07.04 पी एम
अमृत काल- 04.49 पी एम से 06.30 पी एम।
निशिता मुहूर्त- 11.20 पी एम से 19 फरवरी 12.06 ए एम तक। 
रवि योग- 05.32 ए एम से 19 फरवरी 02.03 ए एम तक। 
 
पूजा विधि : Mahananda navami worship
 
- महानंदा नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर घर का कूड़ा-कचरा इकट्‍ठा करके सुपड़ी (सूपे) में रखकर घर के बाहर करना चाहिए। 
इसे अलक्ष्मी का विसर्जन कहा जाता है। 
- फिर हाथ-पांव धोकर दरवाजे पर खड़े होकर श्री महालक्ष्मी का आवाह्‍न करना चाहिए।
- स्वच्छ धुले और सफेद वस्त्र धारण करके एक आसन बिछाकर स्थान ग्रहण करना चाहिए। 
- उसके बाद एक पटिये पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। 
- मां लक्ष्मी को कुमकुम, अक्षत, गुलाल, अबीर, हल्दी, मेहंदी चढ़ाएं तथा उनका पूजन करें।
- इस दिन पूजन स्थान के बीचोबीच गाय के घी का एक बड़ा अखंड दीया जलाना चाहिए तथा धूप बत्ती प्रज्ज्वलित करना चाहिए। 
- मंत्र 'ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:' का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए।
- माता को सफेद मिठाई, पंचामृत, पंचमेवा, ऋतु फल, मखाने, बताशे आदि को भोग लगा कर रात्रि जागरण करें। 
- रात्रि में श्र‍ी विष्णु-मां लक्ष्मी का पूजन करने के पश्‍चात व्रत का पारण करना चाहिए।
- इस दिन 'श्री' यानी महालक्ष्मी देवी की विधिवत पूजा कर व्रत-उपवास रखकर कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।
- इस दिन मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करके हवन करने से गरीबी दूर होकर धनलक्ष्मी का आगमन होता है तथा जीवन सुख-संपन्नता से भर जाता है।
 
महानंदा नवमी की कथा : mahananda navami Story
 
श्री महानंदा नवमी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है कि एक साहूकार की बेटी पीपल की पूजा करती थी। उस पीपल में लक्ष्मी जी का वास था। लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से मित्रता कर ली। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी को अपने घर ले जाकर खूब खिलाया-पिलाया और ढेर सारे उपहार दिए। 
 
जब वो लौटने लगी तो लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से पूछा कि तुम मुझे कब बुला रही हो? अनमने भाव से उसने लक्ष्मी जी को अपने घर आने का निमंत्रण तो दे दिया किंतु वह उदास हो गई। साहूकार ने जब पूछा, तो बेटी ने कहा कि लक्ष्मी जी की तुलना में हमारे यहां तो कुछ भी नहीं है। मैं उनकी खातिरदारी कैसे करूंगी? साहूकार ने कहा- कि हमारे पास जो है, हम उसी से उनकी सेवा करेंगे।
 
फिर बेटी ने चौका लगाया और चौमुख दीपक जलाकर लक्ष्मी जी का नाम लेती हुई बैठ गई। तभी एक चील नौलखा हार लेकर वहां डाल गया। उसे बेचकर बेटी ने सोने का थाल, शाल दुशाला और अनेक प्रकार के व्यंजनों की तैयारी की और लक्ष्मी जी के लिए सोने की चौकी भी लेकर आई।

थोड़ी देर के बाद लक्ष्मी जी गणेश जी के साथ पधारीं और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर सब प्रकार की समृद्धि प्रदान की। अत: जो भक्त महानंदा नवमी के दिन व्रत रखकर श्री लक्ष्मी देवी का पूजन-अर्चन करता है उनके घर से दुर्भाग्य दूर होकर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
 
महानंदा नवमी के उपाय : Mahananda Navami Ke Upay 
 
• महानंदा नवमी के दिन कुंवारी या छोटी कन्याओं का पूजन उनके, कन्या भोज के पश्‍चात उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए, यह बहुत ही शुभ माना गया है।
 
• महानंदा नवमी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, अत: यदि जीवन घोर संकटों से घिर गया हो तो महानंदा व्रत करने से घर सुख-समृद्धि आती है, धन की कमी दूर होती है तथा धीरे-धीरे संकटों से मुक्ति मिलती है। 
 
• महानंदा नवमी के दिन श्री की देवी लक्ष्मी जी की विधि-विधान से व्रत-पूजन तथा मंत्र का जाप करने से दारिद्रय या गरीबी दूर होकर जीवन में संपन्नता आती है। 
 
• इस दिन अलक्ष्मी का विसर्जन किया जाता है, अर्थात् सुबह जल्दी उठकर घर का कूड़ा-कचरा इकट्‍ठा करके सूपे में भरकर घर के बाहर करना चाहिए तथा स्नानादि के उपरांत श्री महालक्ष्मी का आवाह्न-पूजन करना चाहिए।
 
• आर्थिक रूप से संपन्नता पाने के लिए नवमी के दिन सिद्धकुंजिका स्रोत का पाठ करें, कन्या भोज करें तथा कुछ न कुछ भेंट देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। 
 
• एक अच्छी पत्नी की तलाश कर रहे विवाह योग्य जातकों को नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के खास मंत्र- 'पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम् तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।' का 21 बार जाप करना चाहिए। 
 
• महानंदा नवमी के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है, अत: इस दिन असहायों तथा जरूरतमंदों को दान करने से सुख-समृद्धि तथा विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
 
• शत्रु से छुटकारा पाने के लिए, मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।' से धान के लावा यानी धान को भूनकर उससे हवन करें। 
 
• नवमी के दिन 'देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥' मंत्र का 108 मखानों द्वारा हवन करने से सुख-सौभाग्य, आरोग्य, सुंदरता तथा चारों दिशाओं से सफलता प्राप्त हती है।
 
मंत्र : Mantras 
- 'ॐ ऐं क्लीं सौ:।'
- 'ॐ ऐं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।'
- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।'
- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।' 
- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं जगत्प्रसूत्यै नम:।'
 
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