H-1B वीज़ा पर सियासी घमासान, क्या बोले राहुल और खरगे?
H-1B visa fee dispute : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीज़ा की सालाना फीस बढ़ाने के ऐलान के बाद देश में सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा- जन्मदिन का रिटर्न गिफ्ट भारतीयों के लिए भारी पड़ गया। वहीं H-1B वीजा नियमों में बदलाव से भारतीयों पर पड़ने वाले असर को लेकर कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री है।
खबरों के अनुसार, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा नियमों में बदलाव कर दिया है, जिसका सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा। इसको लेकर कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीज़ा की सालाना फीस बढ़ाने के ऐलान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा– जन्मदिन का रिटर्न गिफ्ट भारतीयों के लिए भारी पड़ गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीज़ा की सालाना फीस एक लाख डॉलर (88 लाख रुपए) करने के फैसले से भारतीय टेक कर्मचारियों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ने की आशंका है, क्योंकि करीब 70% एच-1बी वीज़ा धारक भारतीय हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (19 सितंबर, 2025) को एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिससे एच-1बी वीज़ा की फीस सालाना एक लाख डॉलर (88 लाख रुपए) तक बढ़ जाएगी।
लोकसभा चुनाव से पहले ट्रंप प्रशासन का यह कदम न केवल भारतीय पेशेवरों को झटका देगा, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों पर भी गहरा असर डाल सकता है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि क्या मोदी सरकार विदेश नीति को महज़ दिखावा बना रही है, जबकि असल राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा दांव पर लग रही है।
कहा जा रहा है कि इस फैसले से H-1B वीजा के सहारे अमेरिका जाना अब मुश्किल हो जाएगा। अब केवल शीर्ष योग्य अंतरराष्ट्रीय उम्मीदवार ही इस वीजा के लिए पात्र होंगे। इस वीजा में भारत की हिस्सेदारी 71 फीसदी रही है। H-1B वीजा का इस्तेमाल इंजीनियरों के साथ ही शिक्षक और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स भी करते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।
व्हाइट हाउस के स्टाफ सचिव विल शार्फ ने कहा कि एच1बी गैर-प्रवासी वीजा कार्यक्रम देश की वर्तमान आव्रजन प्रणाली में सबसे अधिक दुरुपयोग की जाने वाली वीजा प्रणालियों में से एक है। उन्होंने कहा कि इससे उन उच्च कुशल कामगारों को अमेरिका में आने की अनुमति दी जाती है जो उन क्षेत्रों में काम करते हैं जहां अमेरिकी काम नहीं करते।
अमेरिकी सरकार हर साल 85,000 एच-1बी वीजा जारी करती है, जिनका इस्तेमाल ज्यादातर तकनीकी नौकरियों में होता है। इस साल के लिए आवेदन पहले ही पूरे हो चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, केवल अमेजन को ही इस साल 10,000 से ज्यादा वीजा मिले हैं, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी कंपनियों को 5,000 से अधिक वीजा स्वीकृत हुए हैं। पिछले साल H-1B वीजा का सबसे ज्यादा फायदा भारत को मिला।
Edited By : Chetan Gour