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Last Updated : गुरुवार, 28 अगस्त 2025 (20:52 IST)

मैंने रिटायरमेंट पर कुछ नहीं कहा, संघ प्रमुख भागवत के यू-टर्न के मायने

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान में बदलाव के आखिर क्या हैं मायने

RSS chief Mohan Bhagwat U-turn
RSS chief Mohan Bhagwat U-turn: करीब एक महीने के पहले की ही बात है... जुलाई माह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा था कि 75 साल की उम्र पूरी होने के बाद लोगों को दूसरों को भी काम करने का मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा था- 75 साल पूरा होने पर किसी भी नेता को जब शॉल ओढ़ाई जाती है तो इसका एक मतलब है, उनकी उम्र हो चुकी है। अब आपको दूसरे लोगों को मौका देना चाहिए। उस समय भागवत के बयान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बढ़ती उम्र से जोड़कर देखा गया था। उनके बयान के बाद माना जा रहा था कि भागवत का इशारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ है कि उन्हें 75 साल की उम्र के बाद किसी अन्य को मौका देना चाहिए। 
 
संघ प्रमुख के यू-टर्न के मायने : हालांकि अब मोहन भागवत ने लगभग यू-टर्न लेते हुए कहा है कि मैंने रिटायरमेंट पर कुछ नहीं कहा। न खुद के लिए और न ही किसी और के लिए। उन्होंने कहा कि वे 75 साल में भी काम करने के लिए तैयार हैं। हम जीवन में कभी भी सेवानिवृत्त होने के लिए तैयार हैं और जब तक संघ चाहेगा तब तक काम करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि संघ में हम सभी स्वयंसेवक हैं, हमें जो करने को कहा जाता है, वह हमें करना ही पड़ता है, हम किसी भी काम को मना करने के लिए अपनी उम्र का हवाला नहीं दे सकते। भागवत के बयान की काफी चर्चा है। लोगों का कहना है कि एक महीने में ही ऐसा क्या हो गया कि संघ प्रमुख ने यू-टर्न ले लिया। 
 
क्या दूर हो गई संघ की नाराजगी : भागवत के इस बयान के राजनीतिक गलियारों में अर्थ खोजे जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि भाजपा और संघ के बीच संबंधों में पिछले समय आई 'खटास' लगता है कि अब खत्म हो चुकी है। क्योंकि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‍डा के बयान के बाद भाजपा को लेकर संघ में काफी नाराजगी देखने को मिली थी। नड्‍डा ने कहा था कि भाजपा को अब आरएसएस की जरूरत नहीं है। हालांकि संघ ने इसको खुलकर कभी नहीं बोला, लेकिन नाराजगी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। 
 
भागवत के ताजा बयान के बाद माना जा रहा है कि भाजपा और संघ में सुलह हो गई है। मोदी को लेकर संघ में जो थोड़ा नाराजगी का भाव था वह भी खत्म हो गया है। अब कोई आश्चर्य नहीं कि मोदी 2029 में भी प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आएं। यह भी माना जा रहा है कि भाजपा इस बात पर सहमत हो गई है कि पार्टी अध्यक्ष संघ की पसंद का होगा। ऐसे में लंबे समय से अटका अध्यक्ष पद का चुनाव भी अब जल्द हो सकता है। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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