पत्थर से नहीं गोली लगने से हुई थी कांस्टेबल रतनलाल की मौत, परिजनों ने की शहीद का दर्जा देने की मांग
नई दिल्ली। दिल्ली की हिंसा में जान गंवाने वाले हेडकांस्टेबल रतनलाल के पार्थिव शरीर को गाड़ी में रखकर सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं उनके गांव के लोग। उनके पैतृक गांव राजस्थान के सीकर में लोग धरना दिए हुए हैं। उनके परिवार वाले औऱ उनके गांव सीकर के तिहावली के ग्रामीण उनके पार्थिव शरीर को कार में रखकर धरने पर बैठे हैं तथा इनका कहना है कि सरकार जब तक रतनलाल को शहीद का दर्जा नहीं दे देती, तब तक हम अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
हेडकांस्टेबल रतनलाल की मौत गोली लगने से हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गोली उनके बाएं कंधे से घुसकर दाहिने कंधे तक पहुंच गई थी। रतनलाल एसीपी के गोकुलपुरी दफ्तर में तैनात थे। यहां सीएए का विरोध कर रहे और कानून के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। हिंसक लोगों की भीड़ को तितर-बितर करने पहुंचे पुलिसकर्मियों पर लोगों ने ईंट-पत्थर बरसाए। इस हमले में हेड कांस्टेबल रतनलाल पूरी तरह जख्मी हुए और उनकी मौत हो गई।
घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हवलदार रतनलाल भीड़ के बीच फंस गए। बुरी तरह से घायल कांस्टेबल रतनलाल को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पत्थर से नहीं गोली लगने से हुई थी कांस्टेबल रतनलाल की मौत। रतनलाल ऐसे पुलिसकर्मी थे जिनमें ड्यूटी को लेकर अपार जज्बा था। (Photo Corstey : Twitter)