नरक चतुर्दशी पर भी हनुमानजी का जन्मोत्सव क्यों मनाया जाता है?
Hanuman Jayanti 2023: मतांतर से हनुमानजी का जन्म उत्सव चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा और कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इन दोनों तिथियों में से हनुमानजी का जन्म कब हुआ था? विद्वानों में इसको लेकर मतभेद है। इसी के चलते हनुमान जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है। आओ जानते हैं कि नरक चतुर्दशी पर भी हनुमानजी का जन्मोत्सव क्यों मनाया जाता है?
उत्तर भारत में चैत्र माह की पूर्णिमा को, दक्षिण भारत कुछ क्षेत्र में कार्तिक माह की नरक चतुर्दशी को, तमिलानाडु और केरल में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। श्रीराम के जन्म के पूर्व हनुमानजी का जन्म हुआ था। प्रभु श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व अयोध्या में हुआ था।
चैत्र माह की पूर्णिमा : कहते हैं कि चैत्र पूर्णिमा को मेष लग्न और चित्रा नक्षत्र में प्रातः 6:03 बजे हनुमानजी का जन्म एक गुफा में हुआ था। मतलब यह कि चैत्र माह में उनका जन्म हुआ था। फिर चतुर्दर्शी क्यों मनाते हैं?
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी : वल्मीकि रचित रामायण के अनुसार हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन, स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। फिर चैत्र पूर्णिमा को क्यों मनाते हैं?
मान्यता :
- कहते हैं कि पहली चैत्र माह की तिथि को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में जबकि दूसरी तिथि को जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
- पहली तिथि के अनुसार इस दिन हनुमानजी सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए दौड़े थे, उसी दिन राहु भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया हुआ था लेकिन हनुमानजी को देखकर सूर्यदेव ने उन्हें दूसरा राहु समझ लिया। इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा थी, जबकि दूसरी तिथि के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को उनका जन्म हुआ हुआ था।
- एक अन्य मान्यता के अनुसार माता सीता ने हनुमानजी की भक्ति और समर्पण को देखकर उनको अमरता का वरदान दिया था। यह दिन नरक चतुर्दशी का दिन था।
- कई विद्वानों का मानना है कि हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अन्तिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे हुआ था।
अंतत: यह कहना होगा कि हनुमानजी का जन्म हिन्दू पंचांग के अनुसार दो तिथियों को मनाया जाता है। पहला चैत्र माह की पूर्णिमा को दूसरे कार्तिक माह की चतुर्दशी को। इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाता है और निर्भिकता का जन्म होता है।