इंदौर लोकसभा सीट पर इस बार बन सकते हैं 2 बड़े रिकॉर्ड
Indore Lok Sabha Seat: कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम द्वारा नामांकन वापस लेने के बाद इंदौर लोकसभा सीट सुर्खियों में बनी हुई है। इंदौर सीट पर सर्वाधिक बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड श्रीमती सुमित्रा महाजन के नाम है। 8 बार लगातार चुनाव जीतने वालीं महाजन लोकसभा अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी सर्वाधिक 5 लाख 47 हजार 754 वोटों से चुनाव जीते थे।
शंकर बना सकते हैं नया रिकॉर्ड : इस बार कांग्रेस उम्मीदवार के मैदान छोड़ने के बाद इंदौर लोकसभा सीट पर 2 नए रिकॉर्ड बनने की पूरी संभावना है। चूंकि भाजपा उम्मीदवार लालवानी अब मैदान में अकेले रह गए हैं, ऐसे में संभव है कि वे ज्यादा वोटों से जीतने के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दें। पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी को 5 लाख 20 हजार 815 वोट मिले थे, जबकि शंकर को 10 लाख 68 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। यदि शंकर को कांग्रेस को पिछली बार मिले आधे वोट भी मिल जाते हैं तो इस सीट पर एक नया कीर्तिमान रच देंगे, जिसे आने वाले समय में तोड़ना बहुत ही मुश्किल होगा।
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यदि भाजपा इंदौर में वोटरों को बाहर निकालने में सफल रहती है तो कोई आश्चर्य नहीं कि इंदौर में पूरे देश की सबसे बड़ी जीत भी हो सकती है। क्योंकि 2019 की सबसे बड़ी जीत की बात करें तो गुजरात के नवसारी से भाजपा के सीआर पाटिल ने 6 लाख 89 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं दूसरे नंबर पर भी भाजपा के संजय भाटिया रहे थे, उन्होंने हरियाणा की करनाल सीट पर 6 लाख 56 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी।
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दाजी जीते थे निर्दलीय : शंकर लालवानी से पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में श्रीमती महाजन ने 4 लाख 66 हजार 901 वोटों से विजयी हुई थीं, जो कि 2014 तक की सबसे बड़ी जीत थी। 2024 के चुनाव में भले ही कोई निर्दलीय उम्मीदवार दमदार नहीं हो, लेकिन 1957 में कांग्रेस उम्मीदवार को पछाड़ते हुए श्रमिक नेता होमी एफ. दाजी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत चुके हैं।
नोटा भी बनाएगा रिकॉर्ड : जिस तरह से मतदाताओं का रुझान सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए लग रहा है कि इंदौर के चुनाव में इस बार एक और रिकॉर्ड बन सकता है। इस बार नोटा (NOTA) के पक्ष में अब तक सर्वाधिक मतदान हो सकता है। 2014 में नोटा को 5 हजार 944 वोट मिले थे, जबकि 2019 में यह संख्या घटकर 5 हजार 45 रह गई थी। इस बार नोटा वोटरों की संख्या 2014 और 2019 के मुकाबले ज्यादा हो सकती है।
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दरअसल, नोटा वोट ज्यादा होने की संभावना इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि जब वेबदुनिया ने मतदाताओं से बात की तो कुछ इसी तरह के रुझान सामने आए थे। एक व्यक्ति ने बातचीत के दौरान बताया कि अब हमें हम किसी भी पार्टी पर विश्वास नहीं रहा। हम इस विषय में कुछ भी कहना नहीं चाहते। लोग नोटा को वोट डालेंगे। वोटिंग प्रतिशत भी घटेगा। एक अन्य इंदौर मतदाता ने कहा कि इंदौर लोकसभा सीट पर जो स्थिति बनी है, वह लोकतंत्र के साथ मजाक नहीं तो और क्या है? इस व्यक्ति ने कहा कि लोगों को विरोध स्वरूप ज्यादा से ज्यादा नोटा का बटन दबाना चाहिए ताकि इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंचे।
पटवारी ने दिया नोटा को समर्थन : मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी का नोटा को समर्थन देने के बाद इस बात की पूरी संभावना है कि इस बार नोटा को भी बड़ी संख्या में वोट मिलने वाले हैं। इंदौर लोकसभा सीट पर 13 मई को मतदान होगा। अक्षय बम द्वारा नामांकन वापस लेने के बाद अब भाजपा के शंकर लालवानी ही एकमात्र बड़े उम्मीदवार रह गए हैं। हालांकि शंकर की जीत तो पहले से ही तय थी, लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि वे कितने वोटों से जीतते हैं।