चेन्नई। इंडियन प्रीमियर लीग के प्लेऑफ में प्रवेश कर चुकीं दिल्ली कैपिटल्स और तीन बार की चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स बुधवार को एमए चिदंबरम स्टेडियम मैदान पर तालिका में शीर्ष स्थान पाने के लिए मुकाबला करेंगी।
आईपीएल के 12वें सत्र में नए नाम और लोगो के साथ उतरी दिल्ली कैपिटल्स बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत 12 मैचों में 8 जीतने के बाद 16 अंकों के साथ शीर्ष पायदान पर है जबकि गत चैंपियन चेन्नई रन रेट में पिछड़कर 16 अंकों के साथ दूसरे नंबर पर है।
दोनों टीमें प्लेऑफ में जगह बना चुकी हैं इसलिए अब उनके बीच संघर्ष शीर्ष पायदान को लेकर है जिसका फायदा उन्हें टूर्नामेंट के दूसरे चरण में मिलेगा।
श्रेयस अय्यर की कप्तानी वाली दिल्ली पिछले मैच में अपने घरेलू कोटला मैदान पर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर से 16 रन से विजयी रही थी और उसकी कोशिश रहेगी कि वह अपनी लय कायम रखते हुए शीर्ष पर बनी रहे जबकि चेन्नई ने पिछले मैच में मुंबई इंडियंस के हाथों अपने ही मैदान पर 46 रन से हार झेली थी और वह पटरी पर लौटना चाहेगी।
चेन्नई को पिछले मैच में महेंद्र सिंह धोनी की तबीयत खराब होने के कारण उनकी अनुपस्थिति का नुकसान उठाना पड़ा था जिस कारण से टीम मैच गंवा बैठी।
चेन्नई को उम्मीद होगी कि टीम के कप्तान धोनी इस मैच में वापसी कर लें और उसे वापिस शीर्ष पर ले जाए। धोनी अपनी टीम के शीर्ष स्कोरर हैं और उन्होंने अब तक 10 मैचों में 104.66 के औसत से 314 रन बनाए हैं जिसमें तीन अर्द्धशतक भी शामिल हैं।
तीन बार खिताब जीत चुकी चेन्नई टूर्नामेंट की सबसे मजबूत टीमों में है और उसने यह हर बार साबित किया है क्योंकि टीम के पास मजबूत बल्लेबाजी और गेंदबाजी क्रम है। ऑलराउंडर सुरेश रैना, अंबाती रायुडू, शेन वॉटसन, केदार जाधव टीम के अहम बल्लेबाज हैं जबकि इमरान ताहिर और दीपक चाहर के रूप में चेन्नई के पास प्रतिभाशाली गेंदबाज मौजूद हैं।
हालांकि मुंबई के खिलाफ मैच के बाद टीम को अपनी बल्लेबाजी में सुधार की जरूरत होगी। पिछले मैच में केवल मुरली विजय ने 38 रन की पारी खेली थी जबकि चेन्नई के बल्लेबाज बुरी तरह फ्लॉप रहे थे और टीम 109 रन पर ढेर हो गई थी। खिलाड़ियों को धोनी पर अति निर्भरता से भी उबरना होगा ताकि वे उनकी अनुपस्थिति में भी बेहतर खेल सकें।
दूसरी ओर दिल्ली बल्लेबाजी और गेंदबाजी में फिलहाल टूर्नामेंट की सबसे संतुलित टीम है। पृथ्वी शॉ, शिखर धवन, कप्तान श्रेयस और ऋषभ पंत सभी बल्लेबाजी क्रम के मजबूत खिलाड़ी और शीर्ष स्कोरर हैं, तथा रनों के लिए दिल्ली किसी एक पर निर्भर नहीं है। यही कारण है कि दिल्ली छह साल बाद प्लेऑफ में जगह बनाने में कामयाब रही है। उसने अपना आखिरी प्लेऑफ 2012 में खेला था।
चेन्नई और दिल्ली की लड़ाई लीग में शीर्ष स्थान के लिए है क्योंकि शीर्ष पर रहने वाली टीम को अपने एक खराब दिन पर प्लेऑफ में दूसरा मौका भी मिल सकता है।
प्लेऑफ के प्रारूप के अनुसार दो शीर्ष टीमें पहला क्वालिफायर खेलती हैं और उसमें जीतने वाली टीम सीधे फाइनल में पहुंच जाती है जबकि हारने वाली टीम तीसरे और चौथे स्थानों की टीमों के बीच एलिमिनेटर की विजेता टीम से दूसरे क्वालिफायर में भिड़ती है।