Blasts in Iran : ईरान में कासिम सुलेमानी की कब्र के पास 2 धमाके, 100 से ज्यादा लोगों की मौत, 150 घायल, अमेरिकी ड्रोन से हमले की आशंका
- सुलेमानी चौथी बरसी पर जुटे थे लोग
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दस मिनट में हुए 2 धमाके
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अमेरिकी हमले में मारा गया था सुलेमानी
Blasts in Iran : ईरान के करमान शहर में बुधवार को विस्फोट की दो घटनाओं में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और करीब 150 लोग घायल हुए। अधिकारियों ने इन हमलों को आतंकवाद की कार्रवाई बताया है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि बुधवार को केरमान में दोनों विस्फोट करीब 10 मिनट के अंतराल पर हुए थे। सुरक्षाकर्मियों ने इलाकों को खाली करा लिया था।
ईरान की संवाद समिति और अन्य मीडिया चैनलों की रिपोर्ट के अनुसार ये ताकतवर विस्फोट ईरान के चर्चित सुरक्षा बल रिवोल्यूशनरी गार्ड के पूर्व प्रमुख काशिम सुलेमानी की कब्रगाह के बाहर कुछ अंतराल पर हुए। यह जगह राजधानी तेहरान से 820 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में है।
ईरान की प्रमुख संवाद समिति ने केरमान प्रांत के डिप्टी गवर्नर रहमान जलाली के हवाले से कहा है कि यह हमला आतंकवाद की कार्रवाई है।
मीडिया चैनलों की रिपोर्टों के अनुसार सुलेमानी की आज बरसी थी और इस अवसर पर कब्रगाह के पास लोगों की भीड़ थी। विस्फोटों में103 लोगों के मरने और 141 के घायल होने की रिपोर्ट हैं। हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
कासिम सुलेमानी को ईरान में किसी हीरो का दर्जा मिला हुआ था। वे ईरान में इतने लोकप्रिय थे कि उनके ऊपर हजारों लेख लिखे गए, उन पर कई डॉक्यूमेंट्री बनीं। इतना ही नहीं, उनके ऊपर पॉप गीत भी बनने लगे थे। कई रिपोर्ट्स में उन्हें मिडिल ईस्ट का सबसे ताकतवर व्यक्ति बताया गया।
कौन था सुलेमानी : 11 मार्च 1957 में पैदा हुए सुलेमानी ने अपनी जवानी के दिनों में करीब 8 लाख आबादी वाले शहर करमन में कंस्ट्रक्शन का काम किया करता था। बाद में वो यहीं के करमन वॉटर ऑर्गनाइजेशन (जल विभाग) में ठेकेदार बन गया। साल 1979 आते- आते सुलेमानी ने आईआरजीसी ज्वॉइन कर ली। आईआरजीसी यानी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स। 3 जनवरी 2020 को बगदाद हवाई अड्डे पर अमेरिकी हवाई हमले में शीर्ष ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी।
सुलेमानी ने ईरान की ताकत को बढ़ाने के लिए बेहद काम किया। उसने मिडिल ईस्ट में भी ईरान की ताकत को बढ़ाया। अपनी खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर सुलेमानी ने लगातार काम किया। नतीजा यह हुआ कि वो अमेरिका के लिए सिरदर्द बन गया। इतना ही नहीं, सऊदी अरब और इसराइल जैसे अमेरिकी समर्थक देशों के लिए भी ईरान से निपटना मुश्किल हो गया था और यह सब सुलेमानी की नीतियों का कमाल था। इस कारण उसे कई बार मारने की कोशिश की गई, करीब 20 सालों तक पश्चिमी, इसराइल और अरब देशों की खुफिया एजेंसियां उसे मारने के लिए पीछा करती रही। लेकिन हर बार वो बच निकलता था।
जनरल कासिम सुलेमानी को पता था कि ईरान की अवाम अमेरिका को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती है। ईरान के लोगों की यही नब्ज उसने पकड़ी थी। वो खुद भी अमेरिका का पुराना दुश्मन था। इस्लामिक स्टेट के आतंक से बगदाद को बचाने के लिए उसकी लीडरशिप में ही ईरान समर्थित फोर्स का गठन किया गया था। पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स इसका नाम था। जब ईरान और इराक के बीच 1980 में जंग हुई तो इसमें भी सुलेमानी की अहम भूमिका थी।