अमेरिका ने पाकिस्तान को दिया सदमा, राजनयिकों को दी गई विशेष कर छूट वापस ली
इस्लामाबाद/ वॉशिंगटन। अमेरिका ने पाकिस्तानी राजनयिकों को दी गई विशेष कर छूट को वापस ले लिया है। ट्रंप प्रशासन के पाकिस्तानी राजनयिकों पर यात्रा प्रतिबंध के 1 साल से अधिक समय के बाद यह कदम उठाया गया है। इसके तहत पाक राजनयिकों को अपनी तैनाती वाले शहर से 40 किलोमीटर के दायरे में रहना होगा।
अमेरिका में राजनयिक कर छूट कार्यक्रम के तहत वहां कार्यरत विदेशी अधिकारियों को बिक्री, उपयोग, रहने, खाना, एयरलाइन, गैस और बिजली कर से पात्र विदेशी अधिकारियों को छूट दी जाती है। यह छूट आमतौर पर विदेशी राजनयिकों और वाणिज्य दूतों को दी जाती है। इस सुविधा का लाभ अधिकारियों के आश्रितों को भी मिलता है।
पाकिस्तान से प्रकाशित होने वाले 'द न्यूज इंटरनेशनल अखबार' ने वॉशिंगटन से अपनी रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों को दी गई छूट वाले कार्ड को वापस लेने का फैसला 15 मई को किया गया। उसके बाद प्रभावित कर्मचारियों को वे कार्ड सौंपने थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी दूतावास में इससे प्रभावित कर्मचारियों की संख्या 20 से कुछ अधिक है। विदेशी राजनयिकों, वाणिज्य दूतों तथा अन्य संबद्ध कर्मचारी सदस्यों को आमतौर पर कर छूट 2 अंतरराष्ट्रीय संधियों (राजनयिक संबंधों पर वियेना सम्मेलन तथा वाणिज्य दूत संबंधों पर वियेना सम्मेलन) पर आधारित है।
चूंकि ये सुविधाएं पारस्परिकता के सिद्धांत पर आधारित हैं अत: इसका मतलब है कि जब तक अमेरिका के दूतावास और वाणिज्य दूतों को उसी प्रकार की छूट नहीं दी जाती, तब तक विदेशी अधिकारियों को वह छूट नहीं मिलेगी।
विदेश विभाग के प्रवक्ता ने 'द न्यूज' को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि पाकिस्तान में अमेरिकी राजनयिक मिशन से संबंधित कर छूट का मुद्दा लंबित था, हालांकि विभाग ने कहा कि दोनों पक्ष बातचीत कर रहे हैं और मामले के सुलझने तथा कर विशेषाधिकार बहाल होने की उम्मीद है।
इस बारे में सवालों का जवाब देते हुए वॉशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास ने दावा किया कि कर छूट और रिफंड का मुद्दा एक नियमित मामला है जिस पर दोनों देशों के बीच बातचीत होती रहती है। इस बारे में फिलहाल पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से कोई जवाब नहीं मिला है।
पिछले साल अमेरिका ने पारस्परिक आधार पर कदम उठाते हुए पाकिस्तानी राजनयिकों पर 1 मई से पाबंदी लगा दी थी। इसके तहत उन्हें तैनाती वाले शहर से 40 किलोमीटर के भीतर ही रहने की अनुमति थी। इससे पहले पाकिस्तान ने अमेरिकी राजनयिकों पर पाबंदी लगाई थी और उन्हें कबायली क्षेत्र और कराची में जाने पर प्रतिबंध लगाया था।