क्रिकेट का जनक इंग्लैंड...लेकिन दुर्भाग्य से वह एक भी बार आईसीसी विश्व कप चैम्पियन नहीं बन पाया है।..तो क्या इस बार 2019 में इंग्लैंड के रूप में नया चैम्पियन मिलने रहा है? उसका मौजूदा फॉर्म तो उसे चैम्पियन बना रहा है लेकिन इसके लिए उसे 14 जुलाई को लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर इस विश्व कप के 'छुपे रुस्तम' न्यूजीलैंड को पटखनी देनी होगी। केन विलियम्सन की न्यूजीलैंड सेना बेस्ट टीम बनकर उभरी है, यकीनन विश्व कप 2019 का फाइनल अब तक का सबसे यादगार फाइनल होगा।
इंग्लैंड 27 सालों के बाद फाइनल में पहुंचा है। 1979, 1987 में भी उसने फाइनल में जगह बनाई थी लेकिन चैम्पियन नहीं बन पाया। अंतिम बार उसने 1992 में फाइनल में जगह बनाई थी, जहां इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान टीम ने उसे चैम्पियन बनने से महरूम कर दिया था लेकिन इन 27 बरसों में इंग्लैंड टीम और क्रिकेट के स्वरूप दोनों में काफी बदलाव आ गया है।
2019 के दूसरे सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने जिस तरह 5 बार के चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया को 107 गेंद शेष रहते 8 विकेट से रौंदा, वह देखते ही बनता था। पहले गेंदबाजी और फिर बल्लेबाजी में उसने एक चैम्पियन की तरह मैच खेला। जोफ्रा ऑर्चर और क्रिस वोक्स की तेज गेंदबाजी के कहर के बाद आदिल राशिद की स्पिन गेंदबाजी के आगे गत चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया 49 ओवर में 223 रनों पर सिमट गया। जोफ्रा ने 2 विकेट लिए जबकि वोक्स और आदिल ने 3-3 विकेट आपस में बांटे।
224 रनों के लक्ष्य को इंग्लैंड ने 32.1 ओवर में 2 विकेट पर 226 रन बनाकर हासिल करके चौथी बार फाइनल में प्रवेश किया। जैसन रॉय (85), जॉनी बेयरस्टो (34) जो रूट (नाबाद 49) और इयोन मोर्गन (नाबाद 45) ने बेहतरीन बल्लेबाजी की, जिसके कारण न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियम्सन को अभी से सचेत हो जाना चाहिए।
वे कारण जो बताते हैं कि इंग्लैंड की टीम वर्ल्डकप 2019 को जीत सकती है
1. इंग्लैंड की यह टीम वैसी बिलकुल नहीं है, जो 4 बरस पहले 2015 के विश्व कप में थी। क्रिकेट का जनक वर्ल्डकप के 11 संस्करणों से चैम्पियन बनने के लिए तरस रहा था और इसी कारण इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने तय किया कि वनडे के लिए पूरी तरह अलग टीम बनाई जाए ताकि अपने घर में होने वाले विश्व कप के लिए मजबूत टीम तैयार की जा सके। इंग्लैंड की टेस्ट टीम अलग है और वनडे टीम अलग। बीते 4 सालों में जो मेहनत हुई, उसी का नतीजा है कि इंग्लैंड 2019 के विश्व कप के फाइनल में पहुंचा है।
2. चार साल की कड़ी तपस्या के बाद इयोन मोर्गन की कप्तानी वाली इंग्लैंड टीम ने एकदिवसीय क्रिकेट में अपना रूतबा स्थापित किया और 6420 अंकों के साथ आईसीसी रैंकिंग में दुनिया की नंबर एक टीम भी बनी। मोर्गन खुद पूरी टीम के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनते हैं। वे टीम में जोश और जीत का जज्बा जगाते हैं।
3. 32 साल के इयान मोर्गन को वनडे का लंबा अनुभव है और यही अनुभव वे इस वक्त वर्ल्ड कप में झोंक रहे हैं। मोर्गन ने 231 वनडे मैचों में 91.38 के स्ट्राइक रेट से 7339 रन बनाए हैं, जिसमें 13 शतक और 46 अर्द्धशतक शामिल हैं। मोर्गन ने विश्व कप के पहले ही मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तूफानी अर्द्धशतक (57) ठोंककर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में भी वे 45 रनों पर नाबाद रहे।
4. इंग्लैंड का सबसे मजबूत पक्ष उसकी बल्लेबाजी है। शुरू के 5 नंबर पर धाकड़ बल्लेबाज हैं तो बाद में आने वाले 3 धाकड़ ऑलराउंडर बड़ा स्कोर खड़ा करने की कला जानते हैं। जेसन रॉय और जॉनी बेयरस्टो के बाद जो रूट, इयान मोर्गन, जोस बटलर मजबूत नींव रखते हैं, जिनके बाद ऑलराउंडर बेन स्टोक्स और क्रिस वॉक्स मैदान संभालते हैं।
5. गेंदबाजी में जोफ्रा ऑर्चर अपने दम पर मैच का पासा पलट सकते हैं। हालांकि वे प्रतिभाशाली है लेकिन उन्हें बहुत कम अनुभव है। जोफ्रा ऑर्चर ने वर्ल्डकप से पहले एक ही टूर्नामेंट खेला था और चयनकर्ताओं ने उन्हें इंग्लैंड की वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा बना डाला। जोफ्रा की भी रोचक कहानी है। उनका जन्म बारबडोस (वेस्टइंडीज) में हुआ लेकिन पिता इंग्लैंड में रहते थे। 18 साल की उम्र में उनका पासपोर्ट इंग्लैंड का बना, तब से वे कभी अपने वतन नहीं गए क्योंकि इंग्लैंड की नागरिकता के लिए कम से कम उन्हें 7 साल यहीं रहना था। 1 अप्रैल 2019 को वे 24 साल के हुए और फौरन इंग्लैंड की विश्व कप टीम में जगह बना ली।
जोफ्रा के अलावा क्रिस वोक्स इंग्लैंड की तेज गेंदबाजी के प्रमुख अस्त्र हैं। लेग स्पिनर आदिल रशीद की स्पिन का जादू भी सेमीफाइनल में छाया रहा, जिसमें उन्होंने 3 ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया। इंग्लैंड की मजबूत टीम को देखते हुए लग रहा है कि विश्व कप के 12 वें संस्करण में पूरी दुनिया को नया चैम्पियन मिलने जा रहा है।