पिता छत है, पिता है आकाश : फादर्स डे पर विशेष आलेख
निर्मला भुराड़िया | शनिवार,जून 19,2021
पिता! एक निश्चिंतता का नाम है पिता। पिता छत है, पिता आकाश है। पिता वह सुरक्षा कवच भी है, जो अपनी छाती पर तूफान झेलकर ...
बेटा मैं तुम्हें गले लगाना चाहता हूं : फादर्स डे पर विशेष आलेख
निर्मला भुराड़िया | शुक्रवार,जून 14,2019
पिता छत है, पिता आकाश है। पिता वह सुरक्षा कवच भी है, जो अपनी छाती पर तूफान झेलकर संतान की रक्षा करता है।
क्या होगा गणेश विसर्जन के बाद, कल कहीं सूंड, कहीं कान...
निर्मला भुराड़िया | शनिवार,सितम्बर 26,2015
आज जिन्हें मंगलमूर्ति कहते हुए लोग पूजा कर रहे थे, कल उनकी दुर्दशा। बाद में नालों में बहती टूटी-फूटी मूर्तियां और ...
महिला दिवस : हैवानियत का दौर
निर्मला भुराड़िया | गुरुवार,मार्च 5,2015
उनमें मनुष्य का दिल और नैतिकता की भावना का तो सवाल ही कहां है। मगर हमारा समाज भी अजीब है, ऐसी घटनाएं होने पर अक्सर ...
यह बगावत नहीं यौन ऊर्जा है
निर्मला भुराड़िया | शुक्रवार,अक्टूबर 31,2014
स्वप्न विश्लेषक मधु टंडन ने एक अद्भुत किताब लिखी है, ड्रीम्स एंड बियॉन्ड। यह पुस्तक सपनों की बायलॉजी, दुनियाभर की हर ...
रिश्ता चौबीस कैरेट का
निर्मला भुराड़िया | शुक्रवार,अक्टूबर 31,2014
कभी-कभी ऐसे रिश्ते भी बनते हैं जिनका संबंध न खून से होता है, न दुनियादारी से। ये रिश्ते मुंहबोले हों या अनकहे इनमें अलग ...
कैसी हो आज की शिक्षा?
निर्मला भुराड़िया | शुक्रवार,अक्टूबर 31,2014
भारतीय मां-बाप और शिक्षक यहां तक कि भारतीय स्कूल- कॉलेजों के प्रबंधक भी पाठ्येतर गतिविधियों को बहुत कम महत्व देते हैं। ...
कोमल कल्पना की मीठी बतिया
निर्मला भुराड़िया | शुक्रवार,अक्टूबर 31,2014
बारिश के दिन थे। बरामदे में बैठी दादी अपने नन्हे पोते से बात कर रही थी। बस ऐसी ही मासूम बातें जैसे कि बारिश संग धूप ...
खूब जम रहा है साहित्य का कुंभ उत्सव
निर्मला भुराड़िया | शुक्रवार,अक्टूबर 31,2014
जयपुर। साहित्य का कुंभ उत्सव। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आकर यही प्रतीत होता है। साहित्य और किताबों की दुनिया को अक्सर ...
कच्चा पापड़, पक्का पापड़
निर्मला भुराड़िया | शुक्रवार,अक्टूबर 31,2014
पुराने जमाने में एशिया के कुछ हिस्सों में एक गजब परंपरा थी, जो बीसवीं सदी की शुरुआत तक भी कायम रही। इन दिनों फारस, ...