अंधेरों की तहों में दबी कसमसाहटों की आवाज़ : चंद्रकांत देवताले
दिनेश 'दर्द' | सोमवार,अगस्त 27,2018
''हैलो, सर ! चरणस्पर्श...आपको जन्मदिन पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं...आप हमेशा सेहतमंद रहें। आपकी कविताएँ हमेशा की तरह ...
नया साल लाए हैं
दिनेश 'दर्द' | रविवार,दिसंबर 31,2017
फिर से पुराना साल बिदा कर
फिर से नया साल लाए हैं,
कुछ उम्मीदें और कुछ सपने
अबकी बार भी सजाए हैं...
देवताले सर से पहली मुलाकात...
दिनेश 'दर्द' | बुधवार,अगस्त 16,2017
वो डायरेक्टर के केबिन में बैठे थे और मैं सामने के कमरे में, एक मुलाज़िम की हैसियत से। तारीख़ और दिन वगैरह तो याद नहीं। ...
निदा फ़ाज़ली : पतझड़ से पहले ही बिखर गया गुल-ए-ख़ास
दिनेश 'दर्द' | सोमवार,फ़रवरी 8,2016
अभी मौसम करवट बदल ही रहा था। सूरज की आँच तमाम दरख़्तों की पत्तियों को झुलसा ही रही थी। हर शाख़ के जिस्म पर मुस्कुराती ...
एक अवॉर्ड देकर सौ तरह ज़लील करती है सरकार : मुनव्वर राना
दिनेश 'दर्द' | मंगलवार,अक्टूबर 20,2015
इस दौर की उर्दू शायरी का एक चमकता हुआ नाम है मुनव्वर राना। 'माँ' सहित तमाम रिश्तों को लेकर उन्होंने पर जिस गहराई से ...
शायद इसीलिए आज तक सफ़ेद रंग ओढ़े हैं गुलज़ार
दिनेश 'दर्द' | मंगलवार,अगस्त 18,2015
बात उन दिनों से क़रीब 11 बरस पहले की है, जब हिंदुस्तान को चीरकर दो हिस्सों में तक़्सीम नहीं किया गया था। तब चिनाब, झेलम, ...
कम नहीं थी शख़्स से शख़्सियत बनने की जद्दोजहद
दिनेश 'दर्द' | शनिवार,अगस्त 8,2015
फ़िल्म 'अनुरोध' के लिए गीतकार आनंद बक्षी द्वारा लिक्खे इस गीत की ये पंक्तियाँ, उस वक़्त बरबस ही होठों पर आ गईं, जब ...