शार्लिट शहर के 'साहित्य संगम' ग्रुप की पहली कविता गोष्ठी का आयोजन संपन्न
रेखा भाटिया | शुक्रवार,अप्रैल 29,2022
अमेरिका की स्टेट नॉर्थ कैरोलाइना के शार्लिट शहर के 'साहित्य संगम' ग्रुप की पहली कविता गोष्ठी की रिपोर्ट यहां पेश की जा ...
मेरी, मेरे शहर शार्लिट और हिन्दू सेंटर की कहानी
रेखा भाटिया | बुधवार,अप्रैल 13,2022
कैसे एक व्यक्ति की सोच, उठाया गया एक सार्थक कदम और प्रयास भविष्य निश्चित कर, अस्तित्व को मजबूत कर, सभी को एकजुट कर सभी ...
प्रवासी कविता : मन उदास हो उठता है
रेखा भाटिया | गुरुवार,फ़रवरी 10,2022
रह रह कर मन उदास हो उठता है, एक अंधेरे कोने में सिमटने लगता है
हजार दुख छिपाकर एक खुशी मनाएं कैसे, मां ठीक है लेकिन ...
प्रवासी कविता : रिश्ते पीड़ा भोगते हैं
रेखा भाटिया | सोमवार,फ़रवरी 7,2022
जब सहन करते हैं, जब मर्यादा उलांघते हैं, जब आकांक्षाएं ऊंची रखते हैं, जब उम्मीदों को ठुकराते हैं, जब चाल चल जाते हैं
लता मंगेशकर पर कविता : लता एक मीठी नदी
रेखा भाटिया | सोमवार,फ़रवरी 7,2022
एक समुंदर पानी का, एक समुंदर रेत का, एक जमीन बंजर
एक पहाड़ विशाल, मध्य जीवन रिक्त है
प्रवासी हिंदी कविता : जिंदगी के चार पाए
रेखा भाटिया | मंगलवार,फ़रवरी 1,2022
स्वास्थ, सद्बुद्धि, हिम्मत, मेहनत, चार पाए हैं ऐसी खटिया के
जिन पर टिक कर, आराम से कटती है जिंदगी
प्रवासी कविता : तस्वीरें चिढ़ा रही हैं
रेखा भाटिया | मंगलवार,फ़रवरी 1,2022
आज मेरी तस्वीरें चिढ़ा रही हैं मुझे, जब मैं उनसे नजरें मिला रही हूं
कुछ पुरानी तस्वीरें कॉलेज के दिनों की, प्रयोगशाला ...
यात्रा अनुभव : होम स्वीट होम
रेखा भाटिया | शुक्रवार,जनवरी 7,2022
आज अरसे बाद घर लौटी हूं। घर जी हां, घर अपना घर, वफादार घर जिसकी छत के नीचे आकर एक अजीब-सा अपनापन महसूस होता है। अभी-अभी ...
पुस्तक समीक्षा : दृश्य से अदृश्य का सफ़र, एक बेहतरीन उपन्यास
रेखा भाटिया | बुधवार,सितम्बर 15,2021
मनुष्य जीवन और रिश्ते अत्यंत जटिल होते हैं। मनोविज्ञान के अनुसार परिस्थिति के, सोच के, वातावरण के, मनुष्य के साथ हुए ...
प्रवासी कविता : पदक की यात्रा
रेखा भाटिया | सोमवार,अगस्त 9,2021
आज बदली है सोच बदला है जमाना, दावे तो कई हैं फिर भी एक पदक ना ला सकी बेटी, कइयों के मुंह खुल गए, कइयों ने सांत्वना भी