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Last Modified: शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021 (22:59 IST)

ऋषिगंगा नदी के ऊपर बनी झील पर उपग्रह से निगाह, चमोली में भय का माहौल

ऋषिगंगा नदी के ऊपर बनी झील पर उपग्रह से निगाह, चमोली में भय का माहौल - monitored by satellite on lake built above Rishiganga river
देहरादून। आपदा लाने वाली ऋषिगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में एक झील बनने से त्रासदी ग्रस्त चमोली में भय का माहौल बन गया है। उपग्रह से मिली तस्वीरों में ऋषिगंगा नदी के ऊपर झील के बनने की पुष्टि होने के बाद हालांकि, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधान रहने की जरूरत है।
 
रावत ने कहा कि झील के बारे में पता चला है और हम उपग्रह की मदद से उस पर निगाह रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह झील 400 मीटर लंबी है, लेकिन इसकी गहराई के बारे में अभी अनुमान नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी तक झील की जो स्थिति है उसके बारे में सावधान रहने की जरूरत है। घबराने की जरूरत नहीं है।
 
उत्तराखंड के वैज्ञानिकों को ऋषिगंगा नदी के 6 किलोमीटर ऊपर एक झील मिली है, लेकिन अभी यह पता नहीं चल पाया है कि इससे निचले इलाकों की बसावट को कोई खतरा है या नहीं।
 
इस झील का पता लगाने वाले वाडिया इंस्टीटयूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद साई ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल ने रविवार को आई आपदा के अगले दिन ऋषिगंगा के ऊपरी क्षेत्र के हवाई सर्वेक्षण के दौरान वहां एक झील देखी।
 
उन्होंने कहा कि झील का निर्माण संभवत: हाल में हुए हिमस्खलन के कारण हुआ होगा। साई ने बताया कि हमारे वैज्ञानिक झील के आकार, उसकी परिधि और उसमें मौजूद पानी की मात्रा का परीक्षण कर रहे हैं, जिससे यह पता लगाया जा सके कि इससे खतरा कितना बड़ा और कितना तात्कालिक है।
 
उधर, चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि झील के निरीक्षण के लिए भारतीय भूगर्भ सर्वेंक्षण की एक आठ सदस्यीय टीम गठित की गई है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों का यह टीम ऋषिगंगा के ऊपरी क्षेत्र का निरीक्षण कर जिला प्रशासन को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देगी।
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