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Written By ND

फर्जी ई-मेलों से करोड़ों की कमाई

आईटी
ND
नई दिल्ली। मोबाइल फोन पर क्रेडिट कार्ड, लोन समेत कुछ न कुछ सामान बेचने वाली फालतू फोन कॉलों से अभी तक लोगों को राहत नहीं मिली थी कि फालूत और फर्जी ई- मेलों ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है।

केंद्रीय सूचना-तकनीक मंत्रालय के मुताबिक दुनिया और देश में ऐसे ई-मेल के जरिए लोगों को ठगने और परेशान करने की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इनके माध्यम से करोड़ों का कारोबार चल रहा है जिसमें नाइजीरिया समेत कई अफ्रीकी देशों के गिरोह शामिल हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए मंत्रालय ने चेताया है कि सूचना-तकनीक कानून के जरिए इस तरह के ई-मेल भेजने वालों को तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।

दूरसंचार मंत्रालय के एक प्रेसनोट के मुताबिक इन दिनों नाइजीरियन लेटर फ्रॉड, फिशिंग और पिरामिड स्कैम कुछ ऐसे अपराध हैं, जिनमें स्पैम ई-मेलों का इस्तेमाल लोगों को धोखा देने के लिए किया जा रहा है। सरकार ने लोगों को ऐसे ई-मेलों पर ध्यान नहीं देने की सलाह दी है।

नोट में कहा गया है कि इंटरनेट सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 88 फीसद ई-मेल फर्जी और फालतू होते हैं। इनमें लगभग 33 फीसद तो रुपए को लेकर धोखाधड़ी और ठगने के मकसद से ग्राहकों को भेजे जाते हैं। इन ई-मेलों में करोड़ों के डॉलर कमाने का झाँसा दिया जाता है और इसके लिए कुछ हजार या लाख खर्चने की माँग की जाती है।

देश में हाल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। बाकी की ई-मेल कम्प्यूटर सिस्टम में वायरस या फिर हैक करने के मकसद से भेजी जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में ऐसी ई-मेलों का हिस्सा ४ फीसद है लेकिन हाल की घटनाएँ खतरनाक हैं।

हाईकोर्ट जज का ई-मेल अकाउंट हैक
दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मदन बी. लोकुर साइबर अपराध के ताजा शिकार हुए हैं। किसी ने उनका ई-मेल अकाउंट हैक कर लोगों को संदेश भेजकर सूचित किया है कि उन्होंने ऑटोमोबाइल स्पेयर्स का व्यवसाय शुरू किया है।

इसका खुलासा न्यायमूर्ति श्री लोकुर ने खुद यहाँ एक साइबर अपराध सेमिनार में किया। उन्होंने बताया कि पिछले साल उनका ई-मेल अकाउंट हैक कर लोगों को उनके द्वारा व्यवसाय शुरू करने की सूचना दी गई। उन्होंने कहा- लेकिन मुझे चिंता इस बात की है कि कहीं दिल्ली हाईकोर्ट का सर्वर इस तरह के साइबर अपराध की चपेट में न आ जाए।

मालूम हो कि हाल ही में प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन के खुलासा किया है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों के बैंक खातों का विवरण वेबसाइट से हटा लिया गया है, क्योंकि एक व्यक्ति ने उन्हें सूचित किया था कि सूचनाओं से खातों से पैसे उड़ाए जा सकते हैं।धीरज कनोजिया