जी-20 : जलवायु परिवर्तन पर समझौता, लेकिन किस कीमत पर?
हैमबर्ग। जर्मनी के शहर में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में इस समूह के देशों ने जलवायु परिवर्तन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ किसी तरह के टकराव की स्थिति नहीं पैदा नहीं होने दी और अमेरिका के लिए यह गुंजाइश बनी रहने दी कि वह पेरिस समझौते के साथ फिर जुड़े।
ट्रंप ने पिछले महीने पेरिस समझौते से अपने देश के अलग होने का फैसला किया था और इसके बाद जी-20 की बैठक में जलवायु परिवर्तन का मुद्दा केंद्रबिंदु में था। आखिरकार जब जी-20 समूह का साझा बयान आया तो उसमें इस बात का उल्लेख किया गया कि 2015 का पेरिस समझौता अपरिवर्तनीय है। इसमें इस समझौते से अलग होने के वॉशिंगटन के फैसले का भी संज्ञान लिया गया।
पेरिस समझौते के पक्षधर देशों के लिए यह खतरा था कि कुछ अन्य देश भी ट्रंप की राह अपना सकते हैं। जी-20 के बयान से पहले तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने धमकी दी कि वित्तीय रियायत के बिना इस समझौते को अनुमोदित नहीं किया जा सकता। इस समूह के दूसरे देशों ने साझा घोषणापत्र को वॉशिंगटन के पक्ष का हवाला देते हुए पारित होने दिया। (भाषा)