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Last Modified: सोमवार, 2 जनवरी 2017 (11:41 IST)

अखिलेश के ये सात भरोसेमंद सिपाही

अखिलेश के ये सात भरोसेमंद सिपाही - Akhilesh seven trustworthy
- समीरात्मज मिश्र (लखनऊ से)
 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चुनावी रणनीति पर अमेरिकी रणनीतिकार और हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में पब्लिक पॉलिसी के प्रोफ़ेसर स्टीव जार्डिंग काम कर रहे हैं। इसके अलावा अखिलेश तमाम अधिकारियों और सलाहकारों से मशविरा करते रहते हैं लेकिन समाजवादी पार्टी में उनके कुछ ख़ास ऐसे क़रीबी लोग हैं जिन पर वो बहुत भरोसा करते हैं।
इनमें से ज़्यादातर 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान निकली उनकी रथयात्रा में भी साथ थे और अखिलेश के क़रीबी होने की वजह से ये कई बार उनके चाचा शिवपाल यादव के ग़ुस्से का शिकार भी बन चुके हैं। एक नज़र इन नेताओं पर...
 
उदयवीर सिंह : उत्तर प्रदेश के टूंडला के रहने वाले उदयवीर सिंह धौलपुर के उसी मिलिट्री स्कूल से पढ़े हैं जहां से अखिलेश ने पढ़ाई की है। अखिलेश यादव, उदयवीर से दो साल सीनियर थे। उदयवीर ने आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए और एमफ़िल की डिग्री ली।
 
अखिलेश यादव के बेहद क़रीब होने के बावजूद उदयवीर कभी चर्चा में नहीं आए लेकिन दो महीने पहले जब पार्टी और परिवार में छिड़ी जंग सामने आई तो उदयवीर ने अखिलेश के समर्थन में चिट्ठी लिखी जिसके बाद वो सुर्ख़ियों में आ गए। तब उन्हें इस 'अपराध' के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था, लेकिन अब 'उन्हें निकालने वाले' ही पार्टी से बाहर कर दिए गए हैं।
 
सुनील यादव 'साजन' : उन्नाव ज़िले के एक गांव से आने वाले सुनील यादव ने लखनऊ में केकेसी डिग्री कॉलेज के छात्र संघ से राजनीति की शुरुआत की। यूं तो वो अखिलेश यादव के संपर्क में क़रीब एक दशक से हैं लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले जब तत्कालीन मायावती सरकार के ख़िलाफ़ अखिलेश संघर्ष कर रहे थे, उस दौरान वो उनके क़रीब आए।
 
 
तब राज्य सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के दौरान सपा के कई नेताओं को पुलिस के डंडे भी खाने पड़े। सुनील यादव भी 2012 की रथ यात्रा में अखिलेश के साथी थे। समाजवादी छात्र सभा का प्रदेश अध्यक्ष होने के अलावा अखिलेश यादव ने सरकार बनने के बाद पहले उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिलाया और बाद में एमएलसी बनवाया।
सुनील, अखिलेश यादव की युवा ब्रिगेड की कोर टीम के सदस्य हैं।
 
आनंद भदौरिया : लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ से राजनीति की शुरुआत करने वाले आनंद भदौरिया छात्र संघ चुनाव में तो जीत हासिल नहीं कर सके लेकिन इस समय वो टीम अखिलेश के अहम सदस्य हैं।
 
आनंद भदौरिया उस वक़्त चर्चा में आए जब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सरकार के दौरान एक पुलिस अधिकारी के पैरों से रौंदी जा रही उनकी तस्वीर अख़बारों में छपी थी। बाद में भदौरिया समाजवादी पार्टी के फ्रंटल संगठन लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिए गए। उसके बाद अखिलेश ने उन्हें विधान परिषद भी भेजा।
 
संजय लाठर : संजय लाठर यूं तो हरियाणा के रहने वाले हैं लेकिन अखिलेश यादव से क़रीबी की वजह से वो पार्टी में अहम स्थान हासिल कर चुके हैं। वो अखिलेश के पुराने साथी हैं। इस क़रीबी की बदौलत वो पार्टी की युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए।
 
क़ानून में मास्टर्स और पत्रकारिता में पीएचडी प्राप्त संजय समाजवादी पार्टी से विधान सभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि वो चुनाव हार गए थे लेकिन बाद में उन्हें भी विधान परिषद की सदस्यता पुरस्कार के रूप में मिली।
 
एसआरएस यादव :  समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और सलाहकारों में से एक एसआरएस यादव पहले कोऑपरेटिव बैंक में नौकरी करते थे। उसी दौरान वो मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आए। मुलायम सिंह यादव 1989 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने एसआरएस को अपना विशेष कार्याधिकारी यानी ओएसडी बनाया।
 
जानकार बताते हैं कि बतौर ओएसडी वो इतने ताक़तवर थे कि प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी तक उनसे उलझने की हिम्मत नहीं करते थे। रिटायर होने के बाद वो सपा में कार्यालय प्रभारी हो गए और फ़िलहाल एमएलसी हैं। मुलायम और अखिलेश के बीच तनाव के बावजूद, एसआरएस यादव दोनों के ही काफ़ी क़रीबी हैं।
अभिषेक मिश्र : विदेश में पढ़े होने के नाते अभिषेक मिश्र की एक अलग पहचान है। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाह के बेटे अभिषेक को 2012 में अखिलेश यादव ने ही लखनऊ उत्तर सीट से चुनाव लड़ाया और वो पहली बार में ही विधायक बने। अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी मंत्रिपरिषद में भी जगह दी।
 
विधायक बनने से पहले अभिषेक मिश्र आईआईएम अहमदाबाद में पढ़ाते थे। उनके चुनाव प्रचार में आईआईएम के छात्रों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था और इसी वजह से वो एकाएक चर्चा में आए थे। अभिषेक मिश्र को बड़ी संख्या में निवेशकों को उत्तर प्रदेश में बुलाने और यहां निवेश के लिए तैयार करने का भी श्रेय दिया जाता है। इसके अलावा वो अखिलेश यादव के राजनीतिक और सरकारी दोनों स्तरों पर प्रमुख रणनीतिकारों में से एक माने जाते हैं।
 
राजेंद्र चौधरी : अखिलेश यादव के साथ हमेशा साये की तरह रहने वाले कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी भी उन कुछ लोगों में से एक हैं जो मुलायम सिंह की ही तरह अब अखिलेश के क़रीबी हैं। ग़ाज़ियाबाद के रहने वाले राजेंद्र चौधरी अखिलेश के प्रमुख राजनीतिक सलाहकार भी हैं और सरकार के प्रवक्ता भी हैं।
 
अखिलेश के क़रीबी बताते हैं कि राजेंद्र चौधरी अखिलेश के किसी भी फ़ैसले को उनसे पलटवाने की भी क्षमता रखते हैं। पारिवारिक सत्ता संघर्ष में राजेंद्र चौधरी भी शिवपाल खेमे के निशाने पर आए थे लेकिन जानकारों का कहना है कि शायद मुलायम सिंह यादव के हस्तक्षेप के कारण उन पर उस तरह से कार्रवाई नहीं हुई जिस तरह से अखिलेश यादव के अन्य समर्थकों पर हुई थी।
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