तिरंगे को सलाम :आज नमन तिरंगे को सभी बारम्बार करें...
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | शनिवार,अगस्त 13,2022
साहस आत्मबलिदान स्वरूप
रंग वीरों का केसरिया,
हृदय से उसका सम्मान करें !
श्वेत रंग परिचायक शांति का
पवित्रता का ये ...
तुम जो मेरे हुए :प्रेम कविता
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | शुक्रवार,जनवरी 7,2022
तुम जो मेरे हुए !!
मिली हर ख़ुशी
चूड़ियों की खन-खन
पायल की छन-छन
दास्तां नई सुनाने लगी
तुम जो मेरे हुए....
रातें ...
हिंदी दिवस पर कविता : संस्कृत की लाड़ली बेटी महान है हिंदी
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | मंगलवार,सितम्बर 14,2021
भारतीय अधरों का... गौरव और मान है हिंदी,
भारत की प्रमुख पहचान और सम्मान है हिंदी !
फ़ारसी से उपजी,संस्कृत की लाड़ली ...
Mother's Day 2021 : कुछ खुले अशआर माँ के लिए
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | रविवार,मई 9,2021
ए खुदा बंदों को महसूस हो तेरी मौजूदगी औ ख़ुदाई,
इस वास्ते तूने इस ज़मी पर इन्सान की "माँ" बनाई !
कोरोना पर कविता : घबराना न इस दौर से दोस्तों...
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | शुक्रवार,अप्रैल 23,2021
लोग हैं हारे टूटे ,कोविड सितम, कमर तोड़ गया है,
ढा रहा है कहर औ ज़िन्दगियों को झिंझोड़ गया है!
हैरां है हर आदमी,ग़मगीन ...
श्रीराम पर कविता : हे राम, रोम-रोम में रमण तुम्हीं, गति का नाम तुम्हीं
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | बुधवार,अप्रैल 21,2021
रमंति इति रामः!
हे अजेय !
हो दुर्जेय !
मम जीवन मंत्र तुम्हीं
रोम-रोम में रमण तुम्हीं
गति का नाम तुम्हीं
सतत ...
मूर्ख दिवस पर कविता : अप्रैल फूल डे पर कढ़ी महात्म्य!
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | गुरुवार,अप्रैल 1,2021
बहुत जुगत लिया लगाय, पर सूझे न कोई उपाय, तीव्रमती पड़ोसन को
कैसे बनाया मूरख जाय, सहसा बुद्धि में द्रुत गति से
हिंदी गज़ल: बिन तेरे कोई ज़िन्दगानी नहीं है
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | रविवार,मार्च 21,2021
हो सबसे बेहतर मिरे लिए ,तिरा कोई सानी नहीं है ।
सुन मिरे अमीर !तिरे ज़ज्बातों का तर्जुमानी नहीं है !
चाहे हो ...
महाशिवरात्रि पर कविता : हे पार्वती पति !
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | बुधवार,मार्च 10,2021
हे पार्वती पति !
अविनाशी
व्योमकेश
मैं न जानती
तेरा पूजन विशेष
योग भी ना समझूं
ना आती अर्चना,
बस ...
सुनो हम सबकी आयशा...
डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र | गुरुवार,मार्च 4,2021
प्यारी आयशा तुमने अपने अम्मी और अब्बू के बारे में क्यों नहीं सोचा..कभी गर सोचा होता तो शायद ये निष्ठुर क़दम तुम कभी नहीं ...