भूतपूर्व सवाल और भूतपूर्व जवाब!
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | शनिवार,अगस्त 23,2025
Why questions are necessary: मनुष्य और दिमाग की जुगलबंदी सवाल और जवाब के बगैर नहीं हो सकती। यदि मनुष्य के मस्तिष्क में ...
विचार बीज है और प्रचार बीजों का अप्राकृतिक विस्तार!
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | शनिवार,मार्च 8,2025
विचार और प्रचार दोनों के बीच अंतर्संबंधों पर जब हम सोचते-विचारते हैं तो यह सूत्र मिलता है कि विचार ही प्रचार का ...
भीड़ भरी दुनिया में अकेलेपन की भीड़!
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | सोमवार,फ़रवरी 3,2025
8 अरब मनुष्यों की दुनिया को भीड़ भरी दुनिया की संज्ञा दी जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं मानी जाएगी। पर आज की भीड़ भरी ...
कहानी, उपन्यास लिखना और पढ़ना धीरज की बात है!
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | बुधवार,दिसंबर 18,2024
Writing and reading stories: कहानी, उपन्यास लिखना और पढ़ना दोनों ही बातें हर किसी के बस में नहीं है। असीम धीरज चाहिए। ...
प्रकृति प्रदत्त वाणी एवं मनुष्य कृत भाषा!
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | बुधवार,दिसंबर 4,2024
मनुष्यों को जन्म के साथ ही प्राकृतिक रूप से वाणी मिलती है। मनुष्येतर अन्य जीवों को भी वाणी तो किसी न किसी रूप में मिलती ...
जीवन की ऊर्जा का मूल प्रवाह है आहार
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | शुक्रवार,नवंबर 22,2024
किसी भी जीव को जीवन को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए नियमित आहार का जीव की जरूरत अनुसार निरन्तर मिलते रहना जीवन की अनिवार्य ...
भारतीय लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही असमंजस में हैं!
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | शनिवार,नवंबर 9,2024
Indian democracy: लोकतंत्र एक पक्षीय या एक दलीय नहीं हो सकता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की सामान्य न्यूनतम निरंतर ...
आठ अरब मनुष्य यानी आठ अरब विचार शैली और स्वभाव!
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | गुरुवार,अक्टूबर 17,2024
मनुष्य को जन्म के साथ ही मनुष्य शरीर को आकार मिलता है।पर मनुष्य का आकार,आचार, विचार और स्वभाव अपने आप में मनुष्यता का ...
लगातार गुस्सा या तनावपूर्ण मनःस्थिति को त्यागना काल धर्म है
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | शनिवार,सितम्बर 21,2024
Mental stress: गुस्सा या तनाव क्षणिक हो तो उसे लहरों की तरह मन में आई क्षणिक स्थिति ही मनोविज्ञान में मानी जाती है। ...
क्षण और अनंत काल्पनिक गणना के दो बिन्दु है!
अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट) | मंगलवार,सितम्बर 3,2024
मनुष्य की अवधारणाएं गजब की है। अवधारणाओं का जन्म कल्पना करने की मानवीय क्षमता से हुआ है। मानवीय क्षमता के दो आयाम हैं। ...