जीवन में ऋतुराज वसंत जैसे संतुलित रहें, रमणीय और कमनीय...
प्रीति दुबे | बुधवार,जनवरी 25,2023
वसंत ऋतु में वातावरण में भी ग़ज़ब का संतुलन होता है- न ही अत्यधिक सर्दी न अतिशय गर्मी :वातावरण सुखद, रमणीय और कमनीय ...
बालिका दिवस पर कविता : बेटी की उड़ान मेरा अभिमान
प्रीति दुबे | मंगलवार,अक्टूबर 11,2022
मान मिला सम्मान मिला
धन्य हुआ नारी जीवन जब......
आँचल रूपी सुखद सरोवर
पुत्री रत्न सम कमल खिला
मन की आशाओं को ...
दिलों में रहेगी सदा लता ताई तुम्हारी आवाज़...
प्रीति दुबे | रविवार,फ़रवरी 6,2022
शीतल निर्मल कोमल संगीत की देवी लता मंगेशकर जी जिनके नाम में ही सुर और ताल का अद्भुत समन्वय था ‘लता ‘उलट कर देखें तो ...
वसंत पंचमी पर कविता : मन-मनोहारी हुई वसुंधरा
प्रीति दुबे | शनिवार,फ़रवरी 5,2022
नीलाभ व्योम ,पुलकित है रोम ,
धरिणी लावण्य हुई सुंदरा।
स्वर्णिमपर्णा, प्रकृति है मोद ,
मन-मनोहारी हुई ...
गणतंत्र दिवस पर कविता : भारत नया बनाएँगे....
प्रीति दुबे | बुधवार,जनवरी 26,2022
क़तरा-क़तरा लहू बहा है आज़ादी को पाने में
फिर;लगे वर्ष २ , ११ माह ,१८ दिवस विधी बनाने में
कर उपयोग अधिकारों का ...
नीले घन को चीरकर, झाँक रहा देखो दिनकर
प्रीति दुबे | शुक्रवार,जनवरी 14,2022
नीले घन को चीरकर, झाँक रहा देखो दिनकर।
दोनों बाहों को फैलाकर ,
जीवन पाता मैं प्रबल-प्रखर,
रश्मिकर ही तो है ...
संक्रांति पर प्रेम कविता : मैं पतंग सी सजन तुम संग
प्रीति दुबे | शुक्रवार,जनवरी 14,2022
मैं पतंग सी सजन तुम संग,
उड़ चली इक डोर में बंध।।
तिल से कोमल गुड़ से मीठे ,
मृदु रिश्ते की मिठास भीगे।
थाम कर ...
राम नवमी विशेष कविता : राम तुम्हें आना होगा
प्रीति दुबे | मंगलवार,अप्रैल 20,2021
हे राम !! तुम्हे आना होगा ..जग पर बरसी यह विकट आपदा तुमको ही तो मिटाना होगा .....
राम नवमी पर कविता : मेरे राम...
प्रीति दुबे | मंगलवार,अप्रैल 20,2021
राम तुम्हें अब आना होगा, मैं शबरी बन जाऊंगी, ध्यान तुम्हारा नित मैं धरूंगी रघुपति राघव गाऊंगी
राम जन्मभूमि पर कविता : सवारी रघुनाथ की आई
प्रीति दुबे | मंगलवार,अप्रैल 20,2021
हुई पूर्ण प्रतीक्षा जन-जन की 'लाल' का स्वप्न साकार अवध में प्रकट भए श्री राम निभाने रघुवर-रघुकुल रीत