लघु कहानी : वर्तमान का कूड़ा
सीमा पांडे मिश्रा | मंगलवार,अप्रैल 3,2018
पार्क में हरी मखमली घास पर सुकून से बैठना कितना अच्छा लगता है। दूर से अपने परिवार को अठखेलियां करता, खुश देखना बहुत ...
हिन्दी कविता : पिता बहुत जिद्दी थे...
सीमा पांडे मिश्रा | बुधवार,सितम्बर 27,2017
पिता बहुत जिद्दी थे
जिद थी बुराई में अच्छाई देखते जाने की
दूसरों की गलतियों को अनदेखा करते रहने की
मान-अपमान भूल ...
हिन्दी कविता : अंतर्नाद
सीमा पांडे मिश्रा | सोमवार,सितम्बर 18,2017
पीड़ाओं से सदा घिरे जो, उनका अंतर्नाद
तुम कैसे कह दोगे इसको पल भर का उन्माद
होली पर कविता : किंतु हमें अवकाश कहां
सीमा पांडे मिश्रा | रविवार,मार्च 12,2017
आई फागुन की बयार है, किंतु हमें अवकाश कहां
छाई वासंती बहार है, किंतु हमें अवकाश कहां
हिन्दी कविता : झुग्गियां
सीमा पांडे मिश्रा | सोमवार,फ़रवरी 13,2017
आसमान से बहुत नीचे, जमीं पर
शहर के बीच में, नाले के मुहाने पर
छोटी-बड़ी, आड़ी-तिरछी, कहीं भी बेतरतीब
खेत-खलिहान ...
तैयारी परीक्षा की
सीमा पांडे मिश्रा | सोमवार,नवंबर 10,2014
सभी की परीक्षाएँ शुरू होने वाली है और कुछ की शुरू हो चुकी हैं। उम्मीद है तुम सभी ने अपनी पढ़ाई ठीक तरह से कर ली होगी ...
खेलो होली
सीमा पांडे मिश्रा | सोमवार,नवंबर 10,2014
धूम मचाती हुई होली फिर से एक बार आ गई है। ठंडी हवाएँ, सुहाना मौसम, हल्के-गहरे रंग और हँसी ठिठोली..कितना कुछ है इस ...
चश्मा या गाजर?
सीमा पांडे मिश्रा | सोमवार,नवंबर 10,2014
नए वर्ष का संकल्प ले लिया कि नहीं? अब तुम कहोगे कि दीदी तो पीछे ही पड़ गई। पर अगर किसी चीज से फायदा होता हो तो पीछे पड़ने ...
आगे की तैयारी
सीमा पांडे मिश्रा | सोमवार,नवंबर 10,2014
अभी तुम्हारी परीक्षाएँ चल रही हैं ना..। तो कैसे जा रहे हैं तुम्हारे पेपर? हमारे चिंटूजी की भी परीक्षाएँ चल रही हैं। कल ...
सौ चेहरे
सीमा पांडे मिश्रा | सोमवार,नवंबर 10,2014
एक राजा, चला था लेने जायजा। अपनी प्रजा के बारे में हमेशा वह सोचता था, उन्हें कोई दुःख न हो यह देखता था। रास्ते में वह ...