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Vinay Kushwaha
सांची एक ऐसी जगह है जो इतिहास के प्रेमियों के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी है। सांची केवल बौद्ध धर्म को समर्पित नहीं है यहां जैन और हिन्दु धर्म से सम्बंधित साक्ष्य मौजूद हैं। सांची अपने आंचल में बहुत सारा इतिहास समेटे हुए है। देखें तस्वीरें...
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स्तूप क्रमांक 1 के उत्तरी दिशा में स्थित विहार। यह विहार सांची का सबसे बड़ा विहार है।
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यह फोटो स्तूप क्रमांक 2 की रैलिंग की है जिसमें अशोक स्तंभ की आकृति दिखाई दे रही है लेकिन इसमें शेर की जगह हाथी और घोड़ा है।
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यह स्तूप क्रमांक 3 है, जो स्तूप क्रमांक 1 की पूर्व दिशा में स्थित है।
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यह फोटो स्तूप क्रमांक 2 की है। उत्खनन के समय इसी स्तूप से गौतम बुद्ध के शिष्य सारिपुत्त और महामोदगलायन के अस्थिकलश मिले थे।
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इस फोटो में महाबोधि सोसायटी द्वारा बनाया गया चैत्य दिखाई दे रहा है। इसी चैत्य में वैशाख पूर्णिमा को सारिपुत्त और महामोदगलायन के अस्थि कलश दर्शनीय होते हैं।
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फोटो में अशोक स्तंभ दिखाई दे रहा है। अशोक स्तंभ उल्टे खिले हुए कमल पर बना हुआ है। यह स्तंभ सर जॉन मार्शल संग्रहालय में रखा हुआ है।
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यह मूर्ति सम्राट अशोक की है। यह मूर्ति सांची में उत्खनन से प्राप्त हुई। यह मूर्ति अभी सर जॉन मार्शल संग्रहालय में रखी हुई।
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यह सांची में स्थित मंदिर क्रमांक 17 का दृश्य है। यह एक गुप्तकालीन मंदिर है। इस मंदिर का आधार मौर्यकालीन है।
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सांची के स्तूप क्रमांक 1 का उत्तरी कलात्मक द्वार। इस द्वार में जातक कथाओं का वर्णन मिलता है।
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सांची के स्तूप क्रमांक 1 में स्थित भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा। प्रतिमा में गौतम बुद्ध को ध्यान में दिखाया गया है जिसमें उनके परिचारक भी दिखाई देते हैं।
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यह स्तूप सम्राट अशोक ने बनवाया था। यह गौतम बुद्ध को समर्पित है। इसका निर्माण 3 बीसी में हुआ था। यह स्तूप सबसे बड़ा स्तूप है। इस स्तूप में प्रस्तर और रैलिंग लगाने का कार्य शुंग वंश ने किया है। इसके चारों ओर स्थित द्वार सातवाहन राजाओं ने बनाए थे।