Candidate Name |
एकनाथ शिंदे |
State |
महाराष्ट्र |
Party |
shiv sena |
Constituency |
कोपरी-पाचपाखाडी |
Candidate Current Position |
Chief Minister |
Eknath Shinde Profile in Hindi : कभी ऑटो रिक्शा चलाने वाले एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की सत्ता संभाल रहे हैं। शिवसेना के आनंद दिघे को अपना गुरु मानने वाले शिंदे ने उद्धव ठाकरे बगावत कर भाजपा के साथ सरकार बनाई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। शिंदे ने उद्धव ठाकरे से शिवसेना ही छीन ली। महाराष्ट्र विधानसभा 2024 का चुनाव शिंदे की अग्निपरीक्षा है।
ठाकरे परिवार से बागवत करना महाराष्ट्र की जनता को पसंद आया या नहीं, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा। शिंदे कोपरी-पचपाखड़ी सीट से चुनावी मैदान में हैं। यहां उनका मुकाबला उनके राजनीतिक गुरु आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे से है, जो यूबीटी उम्मीदवार हैं।
राजनीतिक करियर : रिक्शा चलाने के दौरान शिंदे की मुलाकात शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई। वे उनके राजनीतिक गुरु बने। दिघे से प्रेरित होकर सिर्फ 18 साल की उम्र में शिंदे ने एक आम शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया।
समर्पण और निष्ठा से पाया मुकाम : शिंदे ने एक कार्यकर्ता के रूप समर्पण और निष्ठा के साथ शिवसेना के लिए काम किया। 1997 के ठाणे नगर निगम चुनाव में आनंद दिघे ने शिंदे को पार्षद का टिकट दिया। अपने पहले ही चुनाव में शिंदे को जीत मिली। 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने। इसके बाद दोबारा 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद बने। 2001 के बाद शिंदे का कद शिवसेना में बढ़ा जब आनंद दिघे का निधन हो गया।
ठाणे की राजनीति में शिंदे की राजनीतिक जमीन मजबूत होने लगी। 2005 में नारायण राणे के पार्टी छोड़ने के बाद शिंदे का कद शिवसेना में और बढ़ा गया। जब ठाकरे परिवार में दरार आई और राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी तो शिंदे ठाकरे परिवार के करीब आ गए।
2004 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने शिंदे को ठाणे विधानसभा सीट से टिकट दिया। यहां भी शिंदे को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के मनोज शिंदे को 37 हजार से अधिक वोट हराया। 2009, 2014 और 2019 में शिंदे ठाणे जिले की कोपरी पछपाखडी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। देवेंद्र फडणवीस सराकर में शिंदे राज्य के लोक निर्माण मंत्री रहे।
बेटे और बेटी के गम में छोड़ी राजनीति : एक हादसे के बाद शिंदे राजनीति को अलविदा कह दिया था। जब शिंदे पार्षद हुआ करते थे। सतारा में हुए एक हादसे में उन्होंने अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा को खो दिया था। बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए थे। उस समय शिंदे के दूसरे बेटे श्रीकांत की उम्र सिर्फ 13 साल थी। इस घटना से आहत हुए शिंदे ने राजनीति तक से किनारा कर लिया था। इस दौरान उनके राजनीतिक गुरु आनंद दिघे ने उन्हें संबल दिया और सार्वजनिक जीवन में फिर से लेकर आए।
जन्म और शिक्षा : एकनाथ शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था। सतारा उनका गृह जिला है। पढ़ाई के लिए शिंदे ठाणे आए। उन्होंने सिर्फ 11वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद वागले एस्टेट इलाके में रहकर ऑटो रिक्शा चलाने लगे।