दादा लखमी- मन पर गहरी लकीर छोड़ती फ़िल्म
पंकज सुबीर | शनिवार,जनवरी 14,2023
फ़िल्म के बारे में क्या कहूं, ज़्यादा कहूंगा तो लगेगा कि अपने मित्र की प्रशंसा कर रहा हूं। लेकिन सच कह रहा हूं कि मैंने ...
मन्नू भंडारी : रजनीगंधा एक ख़ुशबू का नाम है, और ख़ुशबू कभी नहीं मरतीं..
पंकज सुबीर | मंगलवार,नवंबर 16,2021
'आपका बंटी', 'महाभोज' कई-कई बार पढ़े जा चुके थे। उनकी कहानी 'यही सच है' पर बनी फ़िल्म 'रजनीगंधा' के गीत, उस फ़िल्म में ...
मानव मन के गहरे अंधेरे कोनों की पड़ताल करता उपन्यास - दृश्य से अदृश्य का सफ़र
पंकज सुबीर | मंगलवार,जून 15,2021
नई सदी में हिन्दी कथा साहित्य ने कई नए विषयों की ज़मीनें तोड़ कर वहां कहानियों और उपन्यासों की फ़सल उगाई है। कई ऐसे ...
स्मृति शेष : 20 फरवरी, डॉ. नामवर सिंह और मैं..
पंकज सुबीर | गुरुवार,फ़रवरी 21,2019
सबसे बड़ी बात यह थी कि यह सूचना दे कौन रहा था? स्वयं डॉक्टर नामवर सिंह जी। मैं कुछ देर के लिए जैसे स्तब्ध सा हो गया। वे ...