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Written By WD

पिरामिड ‍चिकित्सा : एक परिचय

ज्ञात एवं अज्ञात शक्तियों का मिलन

पिरामिड ‍चिकित्सा : एक परिचय -
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ग्रीक भाषा में पायर शब्द का अर्थ है 'अग्नि'। पिरामिड का अर्थ है, जिसके मध्य में अग्नि है वह वस्तु। अग्नि एक प्रकार की ऊर्जा है। अतः 'पिरामिड' का सही अर्थ हुआ 'जिसके मध्य में अग्निमय ऊर्जा बहती रहती है ऐसा साधन।' यह अग्नि ऊष्ण नहीं होती ऐसी अग्नि-ऊर्जा, शांति प्रदान कर सकती है, विकारों को रोक सकती है तथा विकारों से सुरक्षित भी रख सकती है।

संशोधक-लेखक मेनली पामर हॉल ने अपनी पुस्तक 'द सीक्रेट टीचिंग ऑफ ऑल एजीज' में कहा है- 'ये भव्य पिरामिड विश्व के शाश्वत्‌ ज्ञान का जीवंत संयोजन हैं। इसके कोने शांति, गहनता, बुद्धिमत्ता तथा सच्चाई के प्रतीक हैं। इनके तिकोनिया भाग त्रिस्तरीय आत्मिक शक्ति के प्रतीक हैं। पिरामिड का दक्षिणी हिस्सा ठंडक का, उत्तरी हिस्सा गर्मी का, पश्चिमी हिस्सा अंधकार का और पूर्व का हिस्सा प्रकाश का प्रतीक है।'

यदि इस तथ्य को स्वीकार कर लिया जाए तो स्पष्ट है कि पिरामिड का निर्माण उच्च स्तर की प्राप्ति हेतु तथा शरीर में, पदार्थ में अंतर्निहित ऊर्जा को जाग्रत करने हेतु ही हुआ है। इसी कारण कई अनुभवों से सिद्ध हुआ है कि पिरामिड के भीतर बैठने से शांति का अनुभव होता है तथा उसके कारण मानसिक शक्ति में वृद्धि की जा सकती है।

सबसे बड़े पिरामिड तथा उसके आसपास रखे गए छोटे-छोटे पिरामिडों के परिसर में ब्रह्मांड की ऊर्जा का क्षेत्र स्थित है। इस परिसर में उत्पन्न प्रवाह विशेष, इलेक्ट्रो-मेग्नेटिक प्रति ऊर्जा को उद्भवित करता है तथा ऊर्जा को वहन करता है। इस संबंध में डॉ. फ्लेनगन लिखते हैं- 'पिरामिड विशेष भौमितिक आकार के फलस्वरूप उसके पाँचों कोनों (चार बाजू के तथा एक शिखर को) में एक विशिष्ट प्रकार का सूक्ष्म किरणोत्सर्ग उत्पन्न होता है।

यह ऊर्जा पिरामिड की एक-तिहाई ऊँचाई पर स्थित 'किंग्स चेम्बर' नामक विस्तार में घनीभूत होती है। जिस बिन्दु पर यह ऊर्जा केन्द्रित होती है, उस बिन्दु को 'फोकल जाइट' कहते हैं। इस बिन्दु पर स्थित अणु इस ऊर्जा को अवशोषित करते हैं, जिसके फलस्वरूप अणु के अंतर्गत छिपे परमाणु स्पन्दित होते हैं और परमाणु की भ्रमण कक्षा में स्थित इलेक्ट्रॉन अपनी भ्रमण कक्षा (वर्तुल) को छोड़कर बाहर निकल जाते हैं।


इसके कारण प्रचंड ऊर्जा (ऐटमिक-ऐनर्जी) उत्पन्न होती है। ऐसी प्रचंड ऊर्जा पिरामिड के पाँचों कोनों में से बाहर फैलती है और पिरामिड के आसपास का क्षेत्र एवं वातावरण आवेशित हो जाता है। इस प्रकार उत्पन्न ऊर्जा को मानव जाति के लाभार्थ एवं विकासार्थ प्रयोजित करने के उपायों के संबंध में आधुनिक विज्ञानी खोज कर रहे हैं।


  इनके तिकोनिया भाग त्रिस्तरीय आत्मिक शक्ति के प्रतीक हैं। पिरामिड का दक्षिणी हिस्सा ठंडक का, उत्तरी हिस्सा गर्मी का, पश्चिमी हिस्सा अंधकार का और पूर्व का हिस्सा प्रकाश का प्रतीक है।'      
पिरामिड का स्मरण होते ही याद आ जाती है 'ममी' की। अर्थात्‌ हजारों सालों से पिरामिड में सुरक्षित मृत देहों की। इजिप्ट के पिरामिडों की चमत्कारिक शक्ति का एकमात्र कारण उसकी विशिष्ट भौमितिक आकृति तथा उसकी संरचना है। मंदिर की आकृति, मस्जिद के गुम्बजों, चर्च के मीनारों की टोच, बौद्ध धर्म के पेगोडा के आकार, इसी संरचना पर आधारित हैं। इन स्थलों में बैठने से हमें जिस शांति का अनुभव होता है, उसका कारण यह है कि वहाँ कोई शक्ति विशेष प्रवाहित हो रही है। शक्ति विशेष के इस प्रवाह का कारण इन रचनाओं के ऊपरी हिस्से की विशिष्ट आकृतियाँ हैं।


पिरामिड के एक बाजू को बराबर चुम्बकीय उत्तर दिशा में रखा जाए तो वातावरण में स्थित ब्रह्माण्ड की शक्तियाँ पिरामिड के शिखर के रास्ते अंदर प्रवेश करती हैं और ये अंदर ही अंदर बिलोती रहती हैं, तत्पश्चात्‌ बाहर निकलती हैं। एक इंच की ऊँचाई वाले पिरामिड का प्रभाव आठ इंच तक रहता है। वैज्ञानिकों ने निरीक्षण किया है कि एक इंच की ऊँचाई वाले छोटे पिरामिड का प्रभाव आठ इंच की ऊँचाई तक रहता है। मतलब पिरामिड के भीतरी भाग में तो शक्ति है ही, इसके अतिरिक्त उसके आसपास, ऊपर-नीचे वाले हिस्से में भी शक्ति का अस्तित्व रहता है।

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पिरामिड की रचना करने के लिए चार समानाकार तिकोनों की आवश्यकता रहती है। प्रत्येक तिकोन समद्विभुज होते हैं। या यूँ कहें कि कीप के आकार, मंदिर के गुम्बद के आकार जो चौकोर हों और ऊपर जाकर एक बिन्दु पर मिलते हों, को भी पिरामिड आकार की सँज्ञा दी जा सकती है।

उसके तल (नींव) का जो नाप है, उस नाप से पाँच प्रतिशत कम, बाजुओं का नाप रखना चाहिए। पिरामिड छोटे-बड़े कई आकार के होते हैं, लेकिन ऊर्जा का संचार सभी में होता है।

पिरामिड की दिशा निश्चित करते समय चुम्बकीय सुई का प्रयोग करना अनिवार्य है, ताकि दिशा के अनुसार उसे रखा जा सके। पिरामिड का प्रयोग करते समय दिशा ज्ञान का बहुत महत्व है।

पिरामिड में 'कॉस्मिक विण्ड' चलती रहती है, जो कि पिरामिड की आज तक ज्ञात एवं अज्ञात दोनों प्रकार की शक्तियों का पुंज है। ब्रह्मांड में व्याप्त सभी शक्तियों का संग्रह एवं मेल पिरामिड में होता है।