Candidate Name |
नरेन्द्र सिंह तोमर |
State |
मध्यप्रदेश |
Party |
BJP |
Constituency |
दिमनी |
Candidate Current Position |
MP |
भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) के चुनावी मैदान में उतरने से हाई प्रोफाइल हुई मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने के चलते ये सीट इस बार चर्चाओं में हैं। मुरैना-श्योपुर सांसद और भाजपा के मुख्य रणनीतिकार नरेन्द्र सिंह तोमर मुरैना जिले के पोरसा तहसील के रहने वाले हैं। तोमर मध्यप्रदेश में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।
राजनीतिक सफर : नरेन्द्र सिंह तोमर ने छात्रसंघ अध्यक्ष के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और बाद में पार्षद का चुनाव जीता। फिर वे विधायक बने और लोकसभा सांसद बनने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी मिली कृषि मंत्री बनने से पहले उनके पास ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय जैसे कई विभाग भी थे।
अपने लंबे राजनीतिक करियर में नरेंद्र सिंह तोमर राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में उन्हें मोदी सरकार में कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है।
जन्म और शिक्षा : नरेन्द्र सिंह तोमर का पुश्तैनी घर आज भी मुरैना जिले के अरेठी गांव में स्थित है। उनका जन्म 12 जून 1957 को ग्वालियर के मुरार में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम शारदा देवी और मुंशी सिंह तोमर है। उन्होंने स्नातक की शिक्षा ग्रहण की है।
तोमर को तोमर की चुनौती : वर्तमान में दिमनी सीट से कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर विधायक हैं। कांग्रेस ने इस बार भी यहां से उन्हीं पर दांव खेला है। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी से विधायक रह चुके और इस बार फिर प्रत्याशी बलवीर सिंह दंडोतिया भी नरेन्द्र सिंह तोमर के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने भी यहां से तोमर समाज से जुड़े सुरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा है।
वोटरों का गणित : लगभग 2 लाख 30 हजार 520 मतदाता वाली इस विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के करीब 48 हजार, तोमर मतदाता लगभग 60 हजार और ब्राह्मण वर्ग के लगभग 30 हजार वोटर हैं। विधानसभा सीट पर लगभग 90 हजार अन्य जाति के मतदाता जीत के लिए अहम भूमिका निभाते हैं। माना जाता है कि जो प्रत्याशी इन मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में सफल होता है, वे अपनी जीत के लिए आश्वस्त महसूस करता है।
कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है सीट : दिमनी सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। 2008 में आखिरी बार भाजपा को यहां से जीत मिली थी। इसके बाद से पार्टी जीत के लिए यहां बाट जोह रही है।
ये सीट 2003 तक एससी के लिए सुरक्षित थी। 1998 से लगातार 2003 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। 2008 में यह सीट सामान्य हो गई। इसके बाद भी यहां भाजपा को जीत मिली थी।
2013 में यह विधानसभा सीट पार्टी के हाथ से निकल गई और बसपा के दंडोतिया ने यहां से जीत हासिल की थी। 2018 में इस सीट पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया।
नवंबर 2020 में उपचुनाव होने पर यहां कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर को यहां से जीत मिली। इससे ये माना जाने लगा कि दिमनी कांग्रेस का गढ़ बनता जा रहा है।