हिन्दी कविता : निशा
गिरधर गांधी | बुधवार,सितम्बर 14,2016
निशा कि दर्शाई हुई नई दिशा कि ओर
ख्वाबों के खातिर आंखे मींंचकर चलने लगा
ख्वाहिशों के घने जंगलों से गुजरता हुआ
हिन्दी कविता : शब्दावली
गिरधर गांधी | सोमवार,अगस्त 22,2016
शब्दों की बस्ती में दुनिया अपनी, शब्दावली का शागिर्द हूंं, मैंं शिक्षार्थी शांति से शब्दों को निहारूंं, शब्दों के ...
हिन्दी कविता : किताब
गिरधर गांधी | बुधवार,अगस्त 3,2016
घुंघट उठाकर देखा सृष्टि यूहीं खोलकर किताब ज्ञान हुआ, पन्ने पलट-पलटकर हौले-हौले विद्वान हुआ...