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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

भारत के बारे में कुछ महत्वपूर्ण भविष्यवाणियां

संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

भारत के बारे में कुछ महत्वपूर्ण भविष्यवाणियां - India prophecy
दुनिया के सभी भविष्यवक्ताओं ने 21वीं सदी में भारत के विश्वशक्ति बनने की भविष्यवाणियां की हैं। हालांकि एशिया में सैन्य तनाव अपने चरम पर है। भारत-पाकिस्तान, उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया, चीन-ताईवान आदि देशों के अलावा बर्मा, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे छोटे देश भी असंतोष की आग में जल रहे हैं। यहां प्रस्तुत हैं भारत के संदर्भ में भविष्यवाणियां।
पुराणों, नास्त्रेदमस और अन्य भविष्यवक्ताओं के अनुसार भारत के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण भविष्यवाणियां की गई हैं। उनमें से ही कुछ के बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। पुराणों में कहा गया है कि एक समय ऐसा होगा जबकि भारत पर यवनों का राज होगा। यह राज तो हम देख चुके हैं। फिर लिखा था कि म्लेच्छ का राज रहेगा। यह राज भी हम देख चुके हैं, लेकिन अब जब भारत का विभाजन हो गया तो पुराणों में तो संपूर्ण अखंड भारत की ही भविष्यवाणी की गई थी। उसी भविष्यवाणी को जानिए आगे क्या होगा...?
 
भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने कहा- 'हे नारद! भयंकर कलियुग के आने पर मनुष्य का आचरण दुष्ट हो जाएगा और योगी भी दुष्ट चित्त वाले होंगे। संसार में परस्पर विरोध फैल जाएगा। द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) दुष्ट कर्म करने वाले होंगे और विशेषकर राजाओं में चरित्रहीनता आ जाएगी। देश-देश और गांव-गांव में कष्ट बढ़ जाएंगे। संतजन दुःखी होंगे। अपने धर्म को छोड़कर लोग दूसरे धर्म का आश्रय लेंगे। देवताओं का देवत्व भी नष्ट हो जाएगा और उनका आशीर्वाद भी नहीं रहेगा। मनुष्यों की बुद्धि धर्म से विपरीत हो जाएगी और पृथ्वी पर म्लेच्छों के राज्य का विस्तार हो जाएगा।'
 
पुराणों में भारत में आज तक होने वाले सभी शासकों की वंशावली का उल्लेख मिलता है। पुराणकार पुराणों की भविष्यवाणियों का अलग-अलग अर्थ निकालते हैं। पुराणकार मानते हैं कि जैसे-जैसे कलियुग आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे भारत की गद्दी पर 'वेद विरोधी' लोगों का शासन होने लगेगा। ये ऐसे लोग होंगे, जो जनता से झूठ बोलेंगे और अपने कुतर्कों द्वारा एक-दूसरे की आलोचना करेंगे और जिनका कोई धर्म नहीं होगा। ये सभी विधर्मी होंगे। ये सभी मिलकर भारत को तोड़ेंगे और अंतत: भारत को एक अराजक भूमि बनाकर छोड़ देंगे।
 
आज भी भारतीय नेता झूठे वादे और खतरनाक इरादे के साथ सत्ता में आकर देश को लूटना ही नहीं चाहते बल्कि इसे तोड़ना भी चाहते हैं। इससे पहले नेहरू और जिन्ना ने मिलकर धर्म के नाम पर देश को तोड़ दिया था।
 
माना जाता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, बद्रीनाथ का मार्ग पूरी तरह बंद हो जाएगा। भविष्य में गंगा नदी पुन: स्वर्ग चली जाएगी फिर गंगा किनारे बसे तीर्थस्थलों का कोई महत्व नहीं रहेगा। वे नाममात्र के तीर्थस्थल होंगे।
 
केदार घाटी में 2 पहाड़ हैं- नर और नारायण पर्वत। पुराणों के अनुसार गंगा स्वर्ग की नदी है और इस नदी को किसी भी प्रकार से प्रदूषित करने और इसके स्वाभाविक रूप से छेड़खानी करने का परिणाम होगा संपूर्ण जंबू खंड का विनाश और गंगा का पुन: स्वर्ग में चले जाना। इस क्षेत्र में भयंकर प्राकृतिक आपदाएं आने की भविष्‍यवाणी कही गई है।
 
पुराणों में बद्री-केदारनाथ के रूठने का जिक्र मिलता है। पुराणों के अनुसार कलियुग के 5,000 वर्ष बीत जाने के बाद पृथ्‍वी पर पाप का साम्राज्य होगा। कलियुग अपने चरम पर होगा, तब लोगों की आस्था लोभ, लालच और काम पर आधारित होगी। सच्चे भक्तों की कमी हो जाएगी। ढोंगी और पाखंडी भक्तों और साधुओं का बोलबाला होगा। ढोंगी संतजन धर्म की गलत व्याख्‍या कर समाज को दिशाहीन कर देंगे, तब इसका परिणाम यह होगा कि धरती पर मनुष्यों के पाप को धोने वाली गंगा स्वर्ग लौट जाएगी।
 
अगले पन्ने पर जानिए कौन से राज्य कलियुग से ज्यादा प्रभावित होंगे...
 

'अपनी तुच्छ बुद्धि को ही शाश्वत समझकर कुछ मूर्ख ईश्वर तथा धर्मग्रंथों की प्रामाणिकता मांगने का दुस्साहस करेंगे। इसका अर्थ है उनके पाप जोर मार रहे हैं।'
 
'ज्यों-ज्यों घोर कलियुग आता जाएगा, त्यों-त्यों सौराष्ट्र, अवंति, अधीर, शूर, अर्बुद और मालव देश के ब्राह्मणगण संस्कारशून्य हो जाएंगे तथा राजा लोग भी शूद्रतुल्य हो जाएंगे।'
 
यहां 'शूद्र' का मतलब उस आचरण से है, जो वेद विरुद्ध है। मांस, मदिरा और संभोगादि प्रवृत्ति में ही सदा रत रहने वाले राक्षसधर्मी को शूद्र कहा गया है। जो ब्रह्म को मानने वाले हैं, वही ब्राह्मण हैं। आज की जनता ब्रह्म को छोड़कर सभी को पूजने लगी है। जब सभी वेदों को छोड़कर संस्कारशून्य हो जाएंगे तब...?
 
'सिंधु तट, चंद्रभाग का तटवर्ती प्रदेश, कौन्तीपुरी और कश्मीर मंडल पर प्राय: शूद्रों का संस्कार ब्रह्म तेज से हीन नाममा‍त्र के द्विजों का और म्लेच्छों का राज होगा। सबके सब राजा (राजनेता) आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे। वे सब एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रांतों में राज करेंगे।'
 
आप जानते हैं कि सिंधु के ज्यादातर तटवर्ती इलाके अब पाकिस्तान का हिस्सा बन गए हैं। कुछ कश्मीर में हैं, जहां नाममात्र के द्विज अर्थात ब्राह्मण हैं। इन सभी (म्लेच्छों) के बारे में पुराणों में लिखा है कि... 'ये सबके सब परले सिरे के झूठे, अधार्मिक और स्वल्प दान करने वाले होंगे। छोटी बातों को लेकर ही ये क्रोध के मारे आगबबूला हो जाएंगे।'
 
अब आगे पढ़िए कश्मीर में ब्राह्मणों के साथ जो हुआ, 'ये दुष्ट लोग स्त्री, बच्चों, गौओं और ब्राह्मणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे। दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने में ये सदा उत्सुक रहेंगे। न तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और न घटते। इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी। राजा के वेश में ये म्लेच्‍छ ही होंगे।'
 
उल्लेखनीय है कि प्राचीनकाल में 'म्लेच्छ' उसे कहते थे, जो हिन्दुकुश पर्वत के उस पार रहता था और जिसने घुसपैठ करके अफगानिस्तान के बहुत बड़े इलाके को अपने अधीन कर लिया था। आजकल लोग म्लेच्छ का अर्थ गलत निकालते हैं। इन लोगों का धर्म ‍कुछ भी हो, लेकिन ये जाति से सभी म्लेच्छ हैं।
 
पूरे देश की यही हालत है। अब राजा (राजनेता) न तो क्षत्रित्व धारण करने वाले रहे और न ही ब्राह्मणत्व। राजधर्म तो लगभग समाप्त ही हो गया है तो ऐसी स्थिति में, 'वे लूट-खसोटकर अपनी प्रजा का खून चूसेंगे। जब ऐसा शासन होगा तो देश की प्रजा में भी वैसा ही स्वभाव, आचरण, भाषण की वृद्धि हो जाएगी। राजा लोग तो उनका शोषण करेंगे ही, आपस में वे भी एक-दूसरे को उत्पीड़ित करेंगे और अंतत: सबके सब नष्ट हो जाएंगे।'
 
'राजा के वेश में ये म्लेच्छ होंगे' का अर्थ है कि ऐसे लोग सत्ता में होंगे जिनका अपना कोई धर्म नहीं होगा। उनका धर्म सिर्फ सत्ता ही होगा। 
 
-भागवत पुराण (अध्याय 'कलियुग की वंशावली' से अंश)
 
अगले पन्ने पर... स्वर्ण युग की शुरुआत कब होगी...
 

ब्रह्मवैवर्त पुराण में श्रीकृष्ण गंगा को बताते हैं कि कलियुग में एक स्वर्ण युग होगा जिसकी शुरुआत कलियुग के 5,000 वर्ष बाद होगी और यह सुनहरा युग अगले 10,000 वर्ष तक चलेगा। यह भविष्यवाणी भारत के संदर्भ में नहीं, बल्कि संपूर्ण धरती के संदर्भ में है। कलियुग के 5,000 वर्ष बीत ‍चुके हैं और अब सभी ओर राजनीतिक शुद्धता और तकनीकी का युग शुरू हो चुका है। हर देश में क्रांति और आंदोलन हो रहे हैं। अब झूठ और फरेब ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा।
 
ईसा मसीह के 3114 वर्ष पूर्व कलियुग की शुरुआत हुई थी। आज इसके 5127 वर्ष बीत चुके हैं। 127 वर्ष पहले ही विश्व में औद्योगिक क्रांति के परिणाम निकलने शुरू हुए थे। निश्चित ही पिछले सौ-दो सौ वर्षों से संपूर्ण ‍दुनिया में परिवर्तन का युग चल रहा है। मानव आज अंतरिक्ष में रहने लगा है और भविष्य में वह किसी अन्य ग्रह पर रहने भी लगेगा।
 
अगले पन्ने पर नास्त्रेदमस क्या कहते हैं स्वर्ण युग के बारे में...
 

2243 से होगा स्वर्ण युग शुरू?
 
नास्त्रेदमस की इस कालगणना के अनुसार हम चन्द्रमा की द्वितीय महान चक्र अवधि से गुजर रहे हैं, जो सन् 1889 से शुरू हुई है और सन् 2243 में समाप्त होगी। नास्त्रेदमस के अनुसार यह अवधि मनुष्य जाति के लिए रजत युग है। नास्त्रेदमस ने ये भविष्यवाणियां लगभग 499 वर्ष पहले की थीं। रजत युग के बाद ही स्वर्ण युग शुरू होगा।
 
अगले पन्ने पर कब होगा तृतीय विश्वयुद्ध जानिए...
 

तृतीय विश्‍वयुद्ध : नास्त्रेदमस के अनुसार तीसरे महायुद्ध की स्थिति सन् 2012 से 2025 के मध्य उत्पन्न हो सकती है। तृतीय विश्वयुद्ध में भारत शांति स्थापक की भूमिका निबाहेगा। सभी देश उसकी सहायता की आतुरता से प्रतीक्षा करेंगे।
 
 
 
नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्वयुद्ध की जो भविष्यवाणी की है उसी के साथ उसने ऐसे समय एक ऐसे महान राजनेता के जन्म की भविष्यवाणी भी की है, जो दुनिया का मुखिया होगा और विश्व में शांति लाएगा। लेकिन यह महान व्यक्ति कहां जन्म लेगा? इस बात को लेकर मतभेद हैं।
 
हालांकि ज्यादातर जानकार मानते हैं कि दुनिया का 'मुक्तिदाता' भारत में ही जन्म लेगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि उस 'महापुरुष' ने जन्म ले लिया हो और वह राजनीति में सक्रिय भी हो। वह राजनेता होगा या धर्मयोद्धा, यह कहना मुश्किल है।
 
अगले पन्ने पर युद्ध के दौरान घटेगी ये खतरनाक घटना...
 

'एक मील व्यास का एक गोलाकार पर्वत अं‍तरिक्ष से गिरेगा और महान देशों को समुद्री पानी में डुबो देगा। यह घटना तब होगी, जब शांति को हटाकर युद्ध, महामारी और बाढ़ का दबदबा होगा। इस उल्का द्वारा कई प्राचीन अस्तित्व वाले महान राष्ट्र डूब जाएंगे।' I-69 
 
समीक्षक और व्याख्याकार इस उल्का के गिरने का केंद्र हिन्द महासागर को मानते हैं। ऐसे में मालद्वीप, बुनेई, न्यूगिनी, फिली‍पींस, कंबोडिया, थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका के तटवर्ती राष्ट्र तथा अरब सागर से लगे राष्ट्र डूब से प्रभावित होंगे।
 
अगले पन्ने पर कौन होगा दुनिया का मुक्तिदाता, जानिए...
 

दुनिया का मुक्तिदाता : 'तीन ओर घिरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। उसकी प्रशंसा और प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा।' (सेंचुरी 1-50वां सूत्र)
 
 
तीन ओर समुद्र से तो भारत ही घिरा हुआ है। भारत में गुरुवार एक ऐसा वार है जिसे सभी धर्म के लोग समान रूप से मानते हैं। भारत में पहले भी राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, चाणक्य आदि महापुरुषों का जन्म हो चुका हैं जिन्होंने तत्कालीन समाज को काफी प्रभावित किया था।
 
'पांच नदियों के प्रख्‍यात द्वीप राष्ट्र में एक महान राजनेता का उदय होगा। इस राजनेता का नाम 'वरण' या 'शरण' होगा। वह एक शत्रु के उन्माद को हवा के ‍जरिए समाप्त करेगा और इस कार्रवाई में 6 लोग मारे जाएंगे।' (सेंचुरी v-27)
 
अगले पन्ने पर पढ़ें स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी...
 

स्वामी विवेकानंद ने भविष्यवाणी करते हुए कहा था- 'भारत का पुनरुत्थान होगा, पर वह जड़ की शक्ति से नहीं, वरन आत्मा की शक्ति द्वारा। वह उत्थान विनाश की ध्वजा लेकर नहीं, वरन शांति और प्रेम की ध्वजा से, संन्यासियों के वेश से, धन की शक्ति से नहीं, बल्कि भिक्षापात्र की शक्ति से संपादित होगा।' (विवेकानंद साहित्य पुस्तक, भाग 9 पृ. 380)।
 
 
स्वामीजी ने कहा- 'मैं अपने मानस चक्षु से भावी भारत की उस पूर्णावस्था को देखता हूं जिसका तेजस्वी और अजेय रूप में वेदांती बुद्धि और इस्लामी शरीर के साथ उत्थान होगा...। हमारी मातृभूमि के लिए इन दोनों विशाल मतों का सामंजस्य (हिन्दुत्व और इस्लाम) वेदांती बुद्धि और इस्लामी शरीर- यही एक आशा है।'
 
अगले पन्ने पर, श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भविष्‍यवाणी...
 

* धर्म, सत्यवादिता, स्वच्छता, सहिष्णुता, दया, जीवन की अवधि, शारीरिक शक्ति और स्मृति सभी दिन-ब-दिन घटती जाएगी।
 
*कलियुग में जिस व्यक्ति के पास जितना धन होगा, वो उतना गुणी माना जाएगा और कानून, न्याय केवल एक शक्ति के आधार पर लागू किया जाएगा।
 
*इस युग में पुरुष और स्त्री साथ-साथ रहेंगे और व्यापार में सफलता छल पर निर्भर करेगा।
 
*पहले के समय में जो ब्राह्मण रहते थे, वे अपने शरीर पर बहुत कुछ धारण करते थे, पर कलियुग में वे लोग सिर्फ एक धागा पहनकर अपने ब्राह्मण होने का दावा करेंगे।
 
*जो व्यक्ति बहुत चालाक और स्वार्थी होगा, वह इस युग में बहुत विद्वान माना जाएगा।
 
*इस युग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा, वह अधर्मी, अपवित्र और बेकार माना जाएगा।
 
*विवाह बस एक समझौता होगा दो लोगों के बीच।
 
*लोग बस स्नान करके समझेंगे कि वे अंतरआत्मा से भी साफ-सुथरे हो गए हैं।
 
*पेट भरना लोगों का लक्ष्य हो जाएगा।
 
*ऐसा माना जाएगा कि मनुष्य की सुंदरता उसके बालों से होगी।
 
*पृथ्वी भ्रष्ट लोगों से भर जाएगी और लोग सत्ता हासिल करने के लिए एक-दूसरे को मारेंगे।
 
*अकाल और अत्यधिक करों द्वारा परेशान, लोग पत्ते, जड़, मांस, जंगली शहद, फल, फूल और बीज खाने को मजबूर हो जाएंगे। भयंकर सूखा पड़ेगा।
 
*ठंड, हवा, गर्मी, बारिश और बर्फ- ये सब लोगों को बहुत परेशान करेंगे।
 
अगले पन्ने पर कब होगा कल्कि अवतार...
 

एक प्रचलित मान्यता अनुसार शक शालिवाहन के 1600 वर्ष व्यतीत हो जाने पर (विक्रम संवत 1738) संपूर्ण जीवों के उद्धार के लिए इस ब्रह्मांड में 'कल्कि' का आगमन होगा। (अध्याय 3)
 
पद्मावती और केन नदी के मध्य विंध्यांचल पर्वत के एक क्षेत्र में इन्द्रावती नामक परब्रह्म की आत्मा होगी। उनके अंदर परब्रह्म सच्चिदानंद विराजमान होकर पूर्ण ब्रह्म कहलाएंगे। वे प्राणियों का उद्धार करेंगे।
 
कल्कि पुराण हिन्दुओं के विभिन्न धार्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों में से एक है। यह एक उपपुराण है। इस पुराण में भगवान विष्णु के 10वें तथा अंतिम अवतार की भविष्यवाणी की गई है और कहा गया है कि विष्णु का अगला अवतार (महा अवतार) 'कल्कि' अवतार होगा। इसके अनुसार 4,320वीं शती में कलियुग के अंत के समय में कल्कि अवतार लेंगे।
 
'सागरों के नाम वाला धर्म, चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे, 'ए' तथा 'ए' से घायल दो लोग। (x-96)। यह भविष्यवाणी अभी तक अपूर्ण है। भविष्यवाणी से ऐसा लगता है कि भारत में धर्म के नाम पर कट्टरता पनपेगी। एक बार फिर से हिन्दू को मुसलमान से लड़ाया जाएगा। 
 
'बाढ़ के बाद आएगा एक ऐसा साल, जब दो मुखिया चुने जाएंगे। उनमें से पहला सत्ता छोड़ देगा। वह कलंक से बचने को ऐसा करेगा, परंतु दूसरे के सामने और कोई चारा ही नहीं होगा। पहले मुखिया को बनाने वाला घर भंग हो जाएगा।' (ix-4)