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Last Updated : बुधवार, 18 अक्टूबर 2017 (16:06 IST)

कविता : राम का आह्वान

कविता : राम का आह्वान - Poem On Diwali
पंकज सिंह
चकमक से जगमग हुआ दीया
दीये से फिर जला दीया
तारों से भरी रात है
चांद की नहीं बात है
 
स्वर्ण नगरी का राजा कहां है
अमावस को भी सितारों का जहां है
अच्छाई पर बुराई की जीत है
मर्यादा की अवध से प्रीत है
 
राम राज की सुध ले लें
मन का मन से दीप जला लें
पंचशील का पर्व मना लें
महावीर को अपने में उतार लें
 
जुगनू-सा दीप्त कर लें
अंधेरा दूर करने का प्रण ले लें
एकला चल कारवां बना लेंगे
रावण को एक ना एक दिन हरा देंगे
 
अयोध्या पुकार रही है
कब आओगे राम कह रही है
अवतार ले आ जाओ
प्रजा के रहबर बन दिखलाओ
 
आशा का दीपक जला रहा हूं
सबके राम को बुला रहा हूं
दीपावली जन जन मना रहा है
आह्वान आपका कर रहा है