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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 6 अप्रैल 2020 (12:35 IST)

कोरोना वायरस: पाकिस्तान में लॉकडाउन न लागू करने पर क्यों अड़े हुए हैं इमरान ख़ान- उर्दू प्रेस रिव्यू

कोरोना वायरस: पाकिस्तान में लॉकडाउन न लागू करने पर क्यों अड़े हुए हैं इमरान ख़ान- उर्दू प्रेस रिव्यू - Why Imran Khan is adamant on not implementing lockdown in Pakistan
इक़बाल अहमद (बीबीसी संवाददाता)
 
पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते भी सबसे ज़्यादा ख़बर तो कोरोना वायरस से जुड़ी थीं, लेकिन अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या के आरोप में सज़ा काट रहे चरमपंथी अहमद उमर सईद शेख़ की रिहाई से जुड़ी ख़बरें भी अख़बारों में सुर्ख़ियां बटोरने में सफल रहीं।
 
सबसे पहले बात पाकिस्तान में भी पैर पसारते कोरोना वायरस की। शनिवार (4 अप्रैल) रात 12 बजे तक पाकिस्तान में कोरोना वायरस के 2,820 मामलों की पुष्टि हुई है और अब तक 41 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज़्यादा असर पंजाब प्रांत में है, जहां अब तक 1,131 मामलों की पुष्टि हुई है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि पूरे पाकिस्तान में लॉकडाउन लागू नहीं किया जा सकता है। जंग अख़बार के अनुसार शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए इमरान ख़ान ने कहा कि 22 करोड़ लोगों को बंद नहीं किया जा सकता है।
 
इमरान का कहना था कि कोई ये न समझे कि पाकिस्तान में कोरोना का ख़तरा नहीं है। लेकिन 22 करोड़ लोगों को बंद नहीं कर सकते, ये नामुमकिन चीज़ है। पाकिस्तान में एक तरफ़ कोरोना दूसरी तरफ़ भूख है। ख़ौफ़ है कि यहां लोग भूख से मर जाएंगे। सिर्फ़ उन्हीं जगहों पर पूरी तरह लॉकडाउन लागू किया गया है, जहां भीड़ जमा होने की आशंका है।
 
इमरान ने आम लोगों से पूरी एहतियात बरतने की अपील की और कहां कि 14 अप्रैल को इस पर दोबारा विचार-विमर्श किया जाएगा कि आगे क्या क़दम उठाया जाए? शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के दौरान भी लोग अपने घरों में ही रहे और मस्जिदों में भीड़ नहीं दिखी। अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार सरकार ने मस्जिद में नमाज़ अदा करने पर पाबंदी लगा दी है या किसी-किसी मस्जिद में 3 से 5 लोगों को जाने की इजाज़त दी है।
 
पाकिस्तान में नमाज़ पढ़ने के लिए झड़प
 
लेकिन कराची की एक मस्जिद में जुमे की नमाज़ के दौरान ज़्यादा लोगों के पहुंचने के कारण पुलिस से झड़प हो गई जिसमें कई लोग ज़ख़्मी हो गए। पुलिस ने मस्जिद कमेटी के 4 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया और कई लोगों के ख़िलाफ़ केस भी दर्ज किया है।
 
अब एक ख़बर पाकिस्तान की जेल में बंद चरमपंथी अहमद उमर सईद शेख़ की। 2002 में 38 साल के डेनियल पर्ल 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख थे। अहमद उमर सईद शेख़ की रिहाई के आदेश पर पाकिस्तान सरकार ने फ़िलहाल पाबंदी लगा दी है और उसे 3 महीने के लिए दोबारा गिरफ़्तार कर लिया है। अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार सरकार ने सिंध हाईकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी फ़ैसला किया है।
 
अहमद उमर सईद शेख़ को अमेरिकी खोजी पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या का दोषी पाते हुए पाकिस्तान की एक अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी। डेनियल पर्ल को साल 2002 में कराची से अग़वा कर बाद में उनकी हत्या कर दी गई थी। उस समय 38 साल के डेनियल पर्ल 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख थे।
अदालत ने उमर के 3 साथियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी। लेकिन अब 18 साल बाद पाकिस्तान के सिंध हाईकोर्ट ने उमर शेख़ को केवल अपहरण का दोषी पाया है और हत्या के जुर्म से बरी कर दिया। उमर को अपहरण के लिए 7 साल की सज़ा को हाईकोर्ट ने बरक़रार रखा लेकिन। चूंकि वो ये सज़ा पूरी कर चुके हैं इसलिए अदालत ने उनकी रिहाई का आदेश दे दिया। उमर के 3 साथियों को अदालत ने बरी कर दिया है।
 
अमेरिका ने जताई थी नाराज़गी
 
हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद अमेरिका ने नाराज़गी जताई थी और इसे अपमानजनक क़रार दिया था। अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण एशिया मामलों की प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा था कि डैनियल पर्ल की हत्या के दोषियों की सज़ा पलटना दहशतगर्दी को बढ़ावा देना है।
 
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने भी अदालत के फ़ैसले पर हैरानी जताई थी। अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार अमेरिकी ख़ुफ़िया विभाग सीआईए के दबाव के कारण पाकिस्तान ने उमर शेख़ की तत्काल रिहाई पर रोक लगा दी गई है।
 
सिंध की प्रांतीय सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा कि उमर शेख़ और उसके साथियों को क़ानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के कारण रिहा नहीं किया जा सकता। उमर शेख़ उस समय ज़्यादा सुर्ख़ियों में आया, जब भारतीय विमान आईसी-814 को 1999 में अपहरण कर कंधार ले जाया गया। उस विमान में सवार यात्रियों की रिहाई के लिए अपहरणकर्ताओं ने जिन 3 लोगों की रिहाई की मांग की थी, उसमें एक नाम उमर शेख़ का था।
भारत ने उमर शेख़ के अलावा मसूद अज़हर और मुश्ताक़ ज़रगर को छोड़ दिया था। ये तीनों चरमपंथी उस समय भारतीय जेलों में बंद थे। उमर शेख़ पर भारत में कुछ विदेशी नागरिकों के अपहरण का आरोप था और वो उस समय ग़ाज़ियाबाद जेल में बंद था।
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