शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. Akshay Tritiya Daan
Written By

दान का सबसे बड़ा पर्व है अक्षय तृतीया

दान का सबसे बड़ा पर्व है अक्षय तृतीया - Akshay Tritiya Daan
अक्षय तृतीया वाले दिन दिया गया दान अक्षय पुण्य के रूप में संचित होता है। इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार अधिक से अधिक दान-पुण्य करना चाहिए। इस तिथि पर ईख के रस से बने पदार्थ, दही, चावल, दूध से बने व्यंजन, खरबूज, लड्डू का भोग लगाकर दान करने का भी विधान है। 
अक्षय ग्रंथ गीता : गीता स्वयं एक अक्षय अमरनिधि ग्रंथ है जिसका पठन-पाठन, मनन एवं स्वाध्याय करके हम जीवन की पूर्णता को पा सकते हैं, जीवन की सार्थकता को समझ सकते हैं और अक्षय तत्व को प्राप्त कर सकते हैं। अक्षय तिथि के समान हमारा संकल्प दृढ़, श्रद्धापूर्व और हमारी निष्ठा अटूट होनी चाहिए। तभी हमें व्रतोपवासों का समग्र आध्यात्मिक फल प्राप्त हो सकता है।
 
अक्षय तृतीया का पर्व देश के विभिन्न प्रांतों में विविध प्रकार से मनाया जाता है। मालवा (उज्जैन-इंदौर) में मिट्टी के नए मटके के ऊपर खरबूजा और आम्रपल्लव रखकर लोग अपने कुल देवता या इष्टदेव का पूजन करते हैं।
 
भारतीय कृषक इसी दिन से अपने नए कृषि-वर्ष का शुभारंभ मानकर इसे ‘नवान्न पर्व’ के रूप में मनाते हैं। इस दिन दूध से बने व्यंजन, गुड़, चीनी, दही, चावल, खरबूजे, तरबूज और लड्डुओं का दान भी दिया जाता है।
बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया से पूर्णिमा तक युवतियां एक विशेष पर्व मनाती है, जिसे सतन्जा कहा जाता है। इस दिन लड़कियां सात तरह के अनाजों से देवी पार्वती की पूजा करती हैं।
 
राजस्थान में अक्षय तृतीया के दिन वर्षा ज्ञान के लिए शकुन निकाला जाता है तथा अछी वर्षा के लिए लड़कियां शुभ शगुन गीत गाती है। दक्षिण भारत में यह धारणा है कि अक्षय तृतीया के दिन सोना या इसके आभूषण खरीदने से घर में सदा सुख-समृद्धि रहती है।
 
इस दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या यह बारह दान का महत्व है। जो भी भूखा हो वह अन्न दान का पात्र है। जो जिस वस्तु की इच्छा रखता है यदि वह वस्तु उसे बिना मांगे दे दी जाए तो दाता को पूरा फल मिलता है। सेवक को दिया दान एक चौथाई फल देता है। कन्या दान इन सभी दानों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इसीलिए इस दिन कन्या का विवाह किया जाता है।
 
इस दिन स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा आदि फल, शक्कर, घी आदि ब्राह्मण को दान करने चाहिए इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
ये भी पढ़ें
त्वचा पर प्याज रगड़ने के यह 5 फायदे, जरूर जानिए