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Last Modified: बलिया , मंगलवार, 17 अप्रैल 2018 (12:24 IST)

प्रधानमंत्री, जिन्होंने एक रात भी पीएम आवास में नहीं बिताई...

प्रधानमंत्री, जिन्होंने एक रात भी पीएम आवास में नहीं बिताई... - PM Chandrashekhar
बलिया। बगैर किसी गॉडडफादर के राजनीति की बुलंदियां हासिल करने वाले देश के आठवें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी प्रधानमंत्री आवास में रात्रि विश्राम नहीं किया।
 
दिवंगत प्रधानमंत्री के अनन्य सहयोगी रहे प्रख्यात समाजवादी नेता ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने मंगलवार को उनकी 91वीं जयंती पर चंद्रशेखर के साथ बिताए पलों को साझा करते हुए कहा कि यह बात कम लोगों को पता है कि चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री थे, लेकिन वे प्रधानमंत्री के सरकारी आवास सात रेसकोर्स रोड पर एक भी रात रुके नहीं। रात को सब काम निपटाकर वह भोंड़सी आ जाते या फिर तीन साऊथ ऐवेन्यू मे चले आते थे। एक बार बहुत रात हो गई, हमने कहा कि आज यहीं रुक जाया जाए। उन्होंने कहा कि नहीं-नहीं यहां नहीं रुकना है। चलो यहां से।
 
समाजवादी चिंतक ने कहा कि चंद्रशेखर जी के दिमाग में शुरू से ही था कि गवर्नमेंट बहुत स्टेबल नहीं है। कांग्रेस के लोग क्या करेंगे इसका कोई ठिकाना नहीं है। चंद्रशेखर जी कहते थे कि जब स्थाई प्रधानमंत्री होना होगा तभी यहां रुकना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1984 में चंद्रशेखर जी चुनाव हारे थे। चुनाव हारने के बाद उन्होंने कहा कि अरे भाई, हमारे संसद में न रहने से संसद थोड़े न इरेलिवेंट हो जाएगी। संसद अपनी जगह पर है और रहेगी। उसका अलग महत्व है।
 
उन्होंने कहा कि बेजोड़ नेता थे। वे अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने बगैर किसी गॉडफादर के अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और अपने को राजनीति की बुलंदी पर पहुंचाया। देश में चाहे उनके समय का नेता रहा हो चाहे वर्तमान समय के नेता हों, कोई भी व्यक्ति उनके पासंग के बराबर नही टिकता।
 
श्रीवास्तव ने बताया कि 1986 में राज्यसभा का चुनाव हो रहा था। कल्याणसिंह जनसंघ के अध्यक्ष थे और मैं जनता पार्टी का अध्यक्ष था। उस वक़्त जनसंघ के 16 विधायक थे और हमारी पार्टी के 21 विधायक थे। कल्याणसिंह का प्रस्ताव था कि चंद्रशेखर जी भी राज्यसभा मे चलें। जीत पक्की थी, लेकिन चंद्रशेखर जी ने मना कर दिया। वह कहते थे कि बलिया के लोगों ने मुझे हराया है और बलिया के लोग ही जब संसद में भेजेंगे तो मैं जाऊंगा। 
 
वयोवृद्ध नेता ने बताया कि चंद्रशेखर भारतीय राजनीति की अमिट निशानी हैं। आज के दौर की भारतीय राजनीति मे उनकी जयंती पर  उन्होंने याद करना प्रासंगिक है। (वार्ता)
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